विज्ञापन
This Article is From Nov 27, 2021

न्यायपालिका में लैंगिक समानता बनाने की जरूरत : संविधान दिवस समारोह में बोले राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने संविधान दिवस को लोकतंत्र का पर्व बताते हुए कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता किए बिना न्यायपालिका के भीतर सुधार कई तरीकों से लाया जा सकता है.

न्यायपालिका में लैंगिक समानता बनाने की जरूरत : संविधान दिवस समारोह में बोले राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की वकालत
नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान दिवस समारोह के दौरान न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा कि न्यायपालिका में लैंगिक समानता बनाने की जरूरत है. अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों ने शपथ ली, इनमें तीन महिला जज शामिल थीं, ये हमारे लिए गौरव की बात है.  राष्ट्रपति ने संविधान दिवस को लोकतंत्र का पर्व बताते हुए कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता किए बिना न्यायपालिका के भीतर सुधार कई तरीकों से लाया जा सकता है. जैसे कि न्यायपालिका के लिए सर्वश्रेष्ठ विवेक का चयन करने के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा शुरू की जा सकती है. जिसमें निचली अदालत से लेकर उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति की जा सकती है. जब मामलों के लंबित रहने की बात उठती है तो जजों की नियुक्ति की बात भी उठती है.

वहीं, CJI एनवी रमना ने कहा कल अटार्नी जनरल ने अदालतों में लंबित केसों और अदालत के ढांचे को लेकर सुझाव दिए. अटार्नी जनरल की मांगों पर केंद्र सरकार विचार करे. केसों के लंबित रहने के लिए अदालतें जिम्मेदार नहीं हैं. इसके लिए सरकारी वकील, वकील और आधी-अधूरी जांच भी शामिल है.

इसके लिए अदालतों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. कई बार विधायिका बिना आंकलन किए कानून बना देती है, जिसके कारण अदालतों में केसों की लिस्ट बढ़ जाती है. केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा है कि न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 9000 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं. यहां अकेले पैसा महत्वपूर्ण नहीं है. इसके बजाय बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक सामान्य प्रणाली बनाई जानी चाहिए. तभी सभी अदालतें समान स्तर के बुनियादी ढांचे के विकास को हासिल कर सकती हैं. 

सुप्रीम कोर्ट के पूरे ढांचे को बदलने का वक्त आ गया, अटार्नी जनरल संविधान दिवस समारोह में बोले 

साथ ही सीजेआई ने कहा, हमारी चाहे जितनी भी आलोचनाएं हों, न्यायपालिका को मजबूत करने का हमारा काम जारी रहेगा. मैं राष्ट्रीय न्यायिक संसाधन कोष की पुरजोर वकालत करता हूं. भारतीय न्यायपालिका दुनिया में सबसे पहले वर्चुअल मोड में जाने वाली बनी है. कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि हम भी देश की अदालतों में लंबित केसों को लेकर चिंतित हैं.  मैंने न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कल मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना द्वारा की गई मांगों को ध्यान में रखा है. हमने इसके लिए 9 हजार करोड़ फंड भी जारी किया है.

जजों पर शारीरिक ही नहीं सोशल मीडिया के जरिये भी हो रहे हमले, संविधान दिवस पर बोले चीफ जस्टिस

न्यायपालिका के पर्याप्त विकास और न्याय तक त्वरित पहुंच सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी को बढ़ावा दिया जा रहा है.  साथ ही कानून मंत्री ने कहा, जब सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट या विधानसभा या संसद कोई कानून पास करते हैं. लेकिन उसको लागू करने में मुसीबत होती है तो ये सोचने की बात है. हमें संविधान की पवित्रता को बनाए रखने के लिए और आगे बढ़कर काम करना होगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com