बाबा रामदेव ने कुंभ में साधुओं से ऐसी चीज दान में ले ली जिनसे है उनका पुराना नाता

प्रयागराज में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर कुंभ परिसर में बाबा रामदेव ने चिलम छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की

बाबा रामदेव ने कुंभ में साधुओं से ऐसी चीज दान में ले ली जिनसे है उनका पुराना नाता

बाबा रामदेव ने प्रयागराज में कुंभ में साधुओं से उनकी चिलमें दान में लीं और नशामुक्त भारत अभियान शुरू किया.

खास बातें

  • कहा - नशे से साधुओं का गौरव और महान संत परम्परा होती है बदनाम
  • गौतम, कणादि, जैमिनि, पाणिनि, पतंजलि, राम, कृष्ण कोई चिलम नहीं पीता था
  • निर्मोही अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास महाराज ने सबसे पहले चिलम दान दी
नई दिल्ली:

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर बाबा रामदेव (Baba Ramdev) को चिलम दान देकर साधुओं ने ‘नशामुक्त भारत'' का सपना पूरा करने की दिशा में ऐतिहासिक शुरुआत की

प्रयागराज (Prayagraj) में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर कुंभ (Kumbh) परिसर में ‘‘चिलम छोड़ो आंदोलन'' की शुरुआत करते हुए बाबा रामदेव ने साधुओं की सर्वसमावेशी संगत में आह्नान करते हुए कहा कि नशा, चिलम आदि से साधुओं का गौरव और हमारी महान संत परम्परा बदनाम होती है.

बाबा रामदेव ने कहा कि जब हम कल्याण के लिए घर-परिवार और मोह-माया छोड़कर इस पावनी ऋषि परम्परा में आ गए तो क्या हम नशा, चिलम और तम्बाकू आदि नहीं छोड़ सकते?  इस पर सर्वप्रथम निर्मोही अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास महाराज ने चिलम दान देकर इस अभियान की शुरुआत की और नशा मुक्ति के लिए संकल्प लिया. यह वही अखाड़ा है जो कुंभ में सबसे पहले शाही स्नान करता है.

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बाबा रामदेव के प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने एनडीटीवी को बताया कि इस अवसर पर श्री पंच तेरा भाई त्यागी खालसा अखाड़ा (त्यागियों की जमात) के भगवत दास जी, तुलसीदास जी, लाल बाबा, मनोज दास की प्रेरणा से और बाबा रामदेव के आह्नान पर सैकड़ों साधु-सन्यासियों ने चिलम दान की और शपथ ली.

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बाबा रामदेव महाराज ने इस संगत को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब एक ईश्वर की संतान हैं. हम सब एक समान हैं, सब महान हैं. हमारा खून एक और हमारे पूर्वज एक हैं. कोई ऊंच-नीच नहीं और कोई भेदभाव नहीं. हमारे पूर्वज गौतम, कणादि, जैमिनि, पाणिनि, पतंजलि, राम, कृष्ण आदि कोई चिलम नहीं पीता था. हमने साधुओं का और संत परम्परा का गौरव बढ़ाया है. हम त्याग करते हैं, तप करते हैं, जन कल्याण करते हैं.

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बाबा रामदेव ने कहा कि महात्माओं ने विदेशियों का शीर्षासन कराया है. संत परोपकारी होते हैं. हम रोजगार देते हैं. हमने दो लाख लोगों को रोजगार दिया है और धर्म-संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि मैं युवाओं का नशा छुड़वाता हूं तब लोग कहते हैं कि आप महात्माओं का नशा क्यों नहीं छुड़वाते हो. मैं इसका क्या उत्तर दूं? आप अपनी चिलम दान करो, नशा छोड़कर मानवता के लिए प्रेरणा बनो.