प्रशांत भूषण मामले (Prashant Bhushan Case) में बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा कि 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण चाहें तो बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अगर वो माफीनामा दाखिल करते हैं तो 25 अगस्त को इस पर विचार किया जाएगा. अगर माफीनामा दाखिल नहीं करते हैं तो अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी. एक हफ्ते पहले ही भूषण को कोर्ट के अवमानना (Contempt) का दोषी घोषित किया गया था.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया है. अटॉर्नी जनरल ने भी माना कि प्रशांत भूषण को उनके स्टेटमेंट पर फिर से सोचने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए. उन्होंने अदालत में बहुत काम किया है.
कोर्ट की अवमानना के मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि वह हर तरह की सजा के लिए तैयार हैं. भूषण ने कहा मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे. ये अवमानना के दायरे से बाहर हैं. उन्होंने कहा कि अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता. मैं किसी भी सजा को भोगने के लिए तैयार हूं जो अदालत देगी. उन्होंने कहा कि माफी मांगना मेरी ओर से अवमानना के समान होगा.
वहीं, वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि सजा देते समय कोर्ट को प्रशांत भूषण के योगदान को देखना चाहिए. इसपर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, 'मैंने अपने पूरे करियर में एक भी व्यक्ति को अदालत की अवमानना का दोषी नहीं ठहराया है. यदि आप अपनी टिप्पणियों को संतुलित नहीं करते हैं, तो आप संस्थान को नष्ट कर देंगे. हम इतनी आसानी से अवमानना की सजा नहीं देते हैं. संतुलन तो होना ही है, संयम तो होना ही है. हर चीज के लिए एक लक्ष्मण रेखा होती है. आपको रेखा को क्यों पार करनी चाहिए?'
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