पीएम मोदी को लेकर क्या सोचते थे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, किताब में उनके मन की बात

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नई किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' में पीएम मोदी के साथ उनके खट्टे-मीठे रिश्तों की दास्तान

पीएम मोदी को लेकर क्या सोचते थे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, किताब में उनके मन की बात

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ( Pranab Mukherjee) की नई किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' (The Presidential Years) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ उनके खट्टे-मीठे रिश्तों की दास्तान भी है. इस किताब में जहां संसद से नदारद रहने और नोटबंदी को लेकर प्रणब मुखर्जी ने पीएम मोदी को आड़े हाथों लिया वहीं कई मुद्दों पर जमकर तारीफ भी की है. प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों से साफ है कि चाहे मुखर्जी और मोदी अलग-अलग वैचारिक पृष्ठभूमि से आए हों लेकिन मुखर्जी के मन में पीएम मोदी और देश के प्रति उनके समर्पण को लेकर बहुत सम्मान था. चुनाव जीतने के बाद पहली मुलाकात में मोदी मुखर्जी से मिलने आए तो एक अखबार की कतरन साथ लाए जिसमें मुखर्जी का पुराना भाषण था जो राजनीतिक रूप से स्थिर जनादेश की उम्मीद व्यक्त करता था.

मुखर्जी ने लिखा है कि उन्होंने (नरेंद्र मोदी) शपथ के लिए एक सप्ताह का समय मांगा तो मुझे हैरानी हुई. उन्होंने कहा कि वे गुजरात में अपने उत्तराधिकारी का मुद्दा सुलझाना चाहते हैं. 

विदेश नीति पर मोदी की पकड़ से मुखर्जी प्रभावित थे. मोदी ने कई बार मुखर्जी से इस पर सलाह भी ली थी. अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क नेताओं को आमंत्रित करने का विचार भी उन्होंने मुखर्जी से साझा किया था और मुखर्जी ने इसके लिए उन्हें बधाई दी थी.

मुखर्जी ने इंक्लूसिव ग्रोथ के लिए उठाए गए कदमों पर मोदी सरकार को सराहा था. इसके लिए राजनीतिक मतभेद आड़े नहीं आए. संविधान की मर्यादा बनाए रखने के लिए मुखर्जी ने मोदी की सलाह को भी सराहा है. चुनाव के दौरान मोदी की मेहनत और परिश्रम को भी मुखर्जी ने सराहा. 

मुखर्जी के मुताबिक 2014 के चुनाव की शुरुआत में पीयूष गोयल के इस दावे को लेकर उन्हें संदेह था कि बीजेपी को 265 सीटें मिलेंगी. लेकिन मुखर्जी ने लिखा कि जब उन्होंने मोदी का बेहद सघन और व्यस्त चुनावी कार्यक्रम देखा तो उन्हें गंभीरता से लेने लगे. उन्होंने लिखा कि मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए जनता की पसंद बने और उन्होंने इस दायित्व को हासिल किया. 2019 के चुनाव से पहले मुखर्जी को हैरानी हुई कि बीजेपी को अपने बूते बहुमत मिलने के बावजूद मोदी ने सहयोगियों के साथ सरकार बनाई. यह वादों पर टिके रहने वाले मोदी की तारीफ थी. 

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जीएसटी शुरू करने के कार्यक्रम में मिले आमंत्रण से भी मुखर्जी खुश थे. उन्होंने कहा कि मैं साढ़े तीन साल तक इस बिल को पारित कराने के लिए प्रयत्न करता रहा और बतौर राष्ट्रपति यह मेरे दस्तखत से कानून बनेगा. यह एक ऐतिहासिक संयोग होगा अगर मैं 30 जून को इसे लागू होने के मौके पर संसद के केंद्रीय कक्ष में मौजूद रहूं.