
नई दिल्ली:
केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से उसकी एक प्रमुख सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नाराजगी की अटकलों के बीच दोनों ने कहा है कि वे अब भी साथ बने हुए हैं। कुछ मुद्दे हैं, लेकिन उन्हें सुलझा लिया जाएगा।
सरकार से नाराज चल रही राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार को मनाते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां उन्हें केंद्र सरकार के लिए 'महान सम्पदा' बताया, वहीं राकांपा ने साफ किया कि न तो पवार और न ही सरकार में शामिल इसके एक अन्य मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है।
राकांपा के नेताओं की शुक्रवार को करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद पार्टी के नेता व केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री पटेल ने संवाददाताओं से बातचीत में नम्बर दो की स्थिति नहीं मिलने के कारण नाराजगी की खबरों को भी खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राकांपा की नाराजगी सरकार के संचालन के तरीकों को लेकर है और इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा संप्रग व कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को अवगत करा दिया गया है।
इस बीच, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पवार को मनाते हुए शुक्रवार को कहा, "वह बेहद मूल्यवान सहयोगी हैं, जिनकी जानकारी, बुद्धि तथा अनुभव हमारी सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।"
वहीं, पटेल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से पवार के इस्तीफे की अटकलों को खारिज करते हुए सरकार से अलग होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
तारिक अनवर व डीपी त्रिपाठी सहित राकांपा के अन्य नेताओं की करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद पटेल ने संवाददाताओं से कहा, "इस समय तक हमने औपचारिक रूप से इस्तीफे नहीं दिए हैं.. इसका सवाल ही पैदा नहीं होता। और फिर मुद्दा इस्तीफे का है भी नहीं।"
इससे पहले पवार की करीब 30 मिनट तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके 10 जनपथ स्थित आवास पर मुलाकात हुई थी। सूचों के अनुसार, ऐसा लगता है कि सोनिया नाराज चल रहे पवार को समझाने-बुझाने में कामयाब रही।
संप्रग में संकट के संकेत तब मिले थे जब पवार और पटेल गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नहीं पहुंचे।
अटकलें लगाई जा रही थीं कि सरकार में पवार को नम्बर दो की स्थिति नहीं मिलने के कारण राकांपा के उक्त दोनों नेताओं ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन पटेल ने शुक्रवार को ऐसी अटकलों को 'बकवास' करार देते हुए कहा कि 'कांग्रेस के कुछ वर्ग ही' 'गलत तरीके' से ऐसी बातें उठा रहे हैं और मीडिया में उन्हें 'सूत्रों' के नाम पर उछाला जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "हम अपने गठबंधन सहयोगियों पर टिप्पणी नहीं करते।"
पटेल ने यह भी कहा कि सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर इसकी असहमति बहुत पहले से है, लेकिन इसे राष्ट्रपति चुनाव से पहले नहीं उछाला गया। उन्होंने कहा, "हमने शनिवार को शाम पांच बजे मतदान समाप्त होने के बाद ही अपना संदेश भेजने का फैसला किया।"
पटेल ने कहा कि राकांपा चाहती है कि सरकार वर्ष 2014 में होने वाले आम चुनाव की तैयारी करे। उन्होंने कहा, "राकांपा पिछले आठ साल से सरकार की सबसे अधिक जिम्मेदार सहयोगी है और यह इसकी मजबूती का एक स्तम्भ है। हम महसूस करते हैं कि अगले दो साल में आम चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार को लोगों के समक्ष अधिक निर्णयात्मक और लोगों के समक्ष मुद्दों के साथ अधिक प्रतिबद्धता के साथ पेश होना चाहिए।"
सरकार से नाराज चल रही राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार को मनाते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां उन्हें केंद्र सरकार के लिए 'महान सम्पदा' बताया, वहीं राकांपा ने साफ किया कि न तो पवार और न ही सरकार में शामिल इसके एक अन्य मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है।
राकांपा के नेताओं की शुक्रवार को करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद पार्टी के नेता व केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री पटेल ने संवाददाताओं से बातचीत में नम्बर दो की स्थिति नहीं मिलने के कारण नाराजगी की खबरों को भी खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राकांपा की नाराजगी सरकार के संचालन के तरीकों को लेकर है और इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा संप्रग व कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को अवगत करा दिया गया है।
इस बीच, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पवार को मनाते हुए शुक्रवार को कहा, "वह बेहद मूल्यवान सहयोगी हैं, जिनकी जानकारी, बुद्धि तथा अनुभव हमारी सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।"
वहीं, पटेल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से पवार के इस्तीफे की अटकलों को खारिज करते हुए सरकार से अलग होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
तारिक अनवर व डीपी त्रिपाठी सहित राकांपा के अन्य नेताओं की करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद पटेल ने संवाददाताओं से कहा, "इस समय तक हमने औपचारिक रूप से इस्तीफे नहीं दिए हैं.. इसका सवाल ही पैदा नहीं होता। और फिर मुद्दा इस्तीफे का है भी नहीं।"
इससे पहले पवार की करीब 30 मिनट तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके 10 जनपथ स्थित आवास पर मुलाकात हुई थी। सूचों के अनुसार, ऐसा लगता है कि सोनिया नाराज चल रहे पवार को समझाने-बुझाने में कामयाब रही।
संप्रग में संकट के संकेत तब मिले थे जब पवार और पटेल गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नहीं पहुंचे।
अटकलें लगाई जा रही थीं कि सरकार में पवार को नम्बर दो की स्थिति नहीं मिलने के कारण राकांपा के उक्त दोनों नेताओं ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन पटेल ने शुक्रवार को ऐसी अटकलों को 'बकवास' करार देते हुए कहा कि 'कांग्रेस के कुछ वर्ग ही' 'गलत तरीके' से ऐसी बातें उठा रहे हैं और मीडिया में उन्हें 'सूत्रों' के नाम पर उछाला जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "हम अपने गठबंधन सहयोगियों पर टिप्पणी नहीं करते।"
पटेल ने यह भी कहा कि सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर इसकी असहमति बहुत पहले से है, लेकिन इसे राष्ट्रपति चुनाव से पहले नहीं उछाला गया। उन्होंने कहा, "हमने शनिवार को शाम पांच बजे मतदान समाप्त होने के बाद ही अपना संदेश भेजने का फैसला किया।"
पटेल ने कहा कि राकांपा चाहती है कि सरकार वर्ष 2014 में होने वाले आम चुनाव की तैयारी करे। उन्होंने कहा, "राकांपा पिछले आठ साल से सरकार की सबसे अधिक जिम्मेदार सहयोगी है और यह इसकी मजबूती का एक स्तम्भ है। हम महसूस करते हैं कि अगले दो साल में आम चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार को लोगों के समक्ष अधिक निर्णयात्मक और लोगों के समक्ष मुद्दों के साथ अधिक प्रतिबद्धता के साथ पेश होना चाहिए।"
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