दिल्ली में पावर सब्सिडी का सच : कम बिजली जलाइए, ऊंची कीमत चुकाइए

नई दिल्ली:

आम आदमी को राहत देने के नाम पर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी ने पॉवर सब्सिडी का ऐलान तो किया, लेकिन इसका फायदा आम तबके से ज्यादा खास तबके तक ही सिमटा है। दिहाड़ी मजदूर, स्टूडेंट्स या बाकी लोग, जो किराएदार हैं, उनको इस सब्सिडी की सुविधा नहीं मिल रही। इनकी बिजली की खपत भले निचले स्लैब पर सिमटा हो, लेकिन रेट सबसे ऊपर के स्लैब का देना होता है। मकान मालिक इन लोगों से 8 से 10 रुपये तक बिजली चार्ज वसूलते हैं।

दक्षिणी दिल्ली के कटवरिया सराय का एक छोटा-सा कमरा जिसमें एक पंखा..एक ट्यूबलाइट, दो-तीन बल्ब और एक लैपटॉप का इस्तेमाल हो रहा है। महीने में कुल मिलाकर बिजली का खर्च मुश्किल से 35 से 50 यूनिट तक का है
जबकि मनीष को 8 रुपये यूनिट के हिसाब से बिजली का बिल देना पड़ता है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने आते ही बिजली सब्सिडी का ऐलान किया, जिसके मुताबिक

- 0 से 200 यूनिट तक 4 रुपये
- 201 से 400 यूनिट पर 5.95 रु का रेट
- 401  से 800 यूनिट पर  7.30 रु और
- 801 से 1200 यूनिट तक 8.10 रु का रेट होगा

मुनीरका में रहने वाली साधना बताती हैं कि आम आदमी पार्टी के आने से बिजली के रेट में उनके लिए भी कोई अंतर नहीं आया। पहले भी 8 रुपये देने होते थे और अब भी। भला मकान मालिक से मुसिबत कौन मोल ले। साधना बमुश्किल 100 यूनिट हर महीने खर्च करती हैं, लेकिन मकान मालिक 8 रुपये के हिसाब से ही रेट वसूलता है। बताती हैं कि उनके कुछ ऐसे भी जानकार हैं, जो 10 रुपये के हिसाब से कीमत चुका रहे हैं। यानी खर्च भले निचले स्लैब का हो..पैसा सबसे ऊपर वाले स्लैब का ही लगेगा। कहने को सब मीटर भी लगे हैं पर उसका इस्तेमाल राहत देने की बजाय मकानमालिक के हिसाब किताब में होता है।

कोई भी कैमरे पर खुल कर नहीं बोलता, ऐसा करना मौजूदा मकान मालिक से सीधा पंगा लेना है। उधर, मकान मालिकों के पास रटा-रटाया जवाब भी तैयार है कि एक ही इमारत में 20-25 किरायेदार हैं, सब-मीटर भले अलग हों
लेकिन मेन मीटर एक होने से बिल हजार यूनिट से कम नहीं आता। ऐसे में हम अपनी जेब से किराएदारों को रियायत क्यों दें?

इधर, सबसे कमजोर तबके तक राहत पहुंचाने का दावा करने वाली दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम इस मौके पर हाथ छाड़ लेते हैं। मनीष सिसोदिया कहते हैं कि भला इसमें सरकार क्या करे। यह मसला मकान मालिक और किराएदारों के बीच है तो उनको एग्रीमेंट उस हिसाब से बनाना चाहिए।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

शायद यही वजह है कि कमजोर और किफायती खर्च करने वाले तबके के लाखों लोगों के लिए ये राहत अब भी बेमानी है। ऊर्जा के जानकार राजीव काकरिया बताते हैं कि दिल्ली में तकरीबन 43 लाख मीटर हैं। इसमें से करीब 30 से 32 लाख मीटर डोमेस्टिक उपभोक्ताओं के हैं। मानकर चलिए कि तकरीबन 5 लाख लोगों ने किराएदार रख रखे हैं। इन 5 लाख लोगों ने औसतन 4-4 कमरे भी किराएदारों को दिया हुआ हो तो 20 लाख सब मीटर। ऐसे में मानकर चलिए कि  20 लाख आम आदमी इससे वंचित है।