
इन दिनों पटना शहर जनता दल यूनाइटेड और आरजेडी के नेताओं और उनके समर्थकों के एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के पोस्टर बैनरों से भरा हुआ है. इसकी शुरुआत जनता दल यूनाइटेड के पोस्टर से हुई जिसमें उन्होंने आरजेडी को पहले अपने पंद्रह सालों का हिसाब देने के लिए कहा था इसके बाद जवाब में आरजेडी ने भी होर्डिंग लगाने शुरू कर दिए हैं. वहीं झारखंड में नतीजों से उत्साहित कांग्रेस ने भी पोस्टर लगाकर नीतीश कुमार पर तंज कसा है. आपको बता दें कि इस साल बिहार विधानसभा चुनाव होना है. जिसमें एक और बीजेपी-जेडीयू-एलजेपी गठबंधन, तो दूसरी ओर आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन है. गौरतलब है कि 2015 में जब आरजेडी ने नीतीश की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो बीजेपी उस समय मोदी लहर पर सवार थी. लेकिन बिहार में आरजेडी और जेडीयू के वोटबैंक ने मिलकर बीजेपी को हरा दिया था. इसमें गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल और इसे उस चुनाव में महागठबंधन कहा गया था. लेकिन यहां एक बात और ध्यान देने की है उस चुनाव में नीतीश के साथ-साथ लालू प्रसाद यादव जैसा एक जमीनी नेता था जो अकेले दम पर हवा का रुख का रोकने का माद्दा रखते हैं. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद परिस्थितियां धीरे-धीरे बदलने लगीं और लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला मामले में जेल की सजा हो गई.
Bihar: Posters seen in different parts of Patna pic.twitter.com/KpKynlfHuv
— ANI (@ANI) January 4, 2020
इसके बाद जमीन घोटाले का आरोप भी लालू के बेटे तेजस्वी और परिवार के सदस्यों को लगा. इधर अपनी छवि को लेकर बेहद सतर्क रहने वाले नीतीश कुमार भी अब इस गठबंधन से खुश नहीं आ रहे थे और उन्होंने तेजस्वी से इस घोटाले पर सफाई देने के लिए कहा. इसके बाद से नीतीश और तेजस्वी में मतभेद बढ़ने लगे.
कहा तो यह भी जाता है कि सरकारी कामकाज और ट्रांसफर-पोस्टिंग में तक में लालू प्रसाद यादव का दखल बढ़ गया था और नीतीश कुमार इससे भी खुश नहीं थे. इसी बीच नीतीश कुमार पर बीजेपी भी डोरे लगी थी और नीतीश कुमार भी साल 2016 में किए गए पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले की जमकर तारीफ कर रहे थे. फिर एक दिन अचानक रातों-रात नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा दे दिया और जेडीयू को आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन से अलग कर लिया था.
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