'किसानों को कोसना बन गया फैशन,' दिल्ली-NCR प्रदूषण पर SC की फटकार; 5 बड़ी बातें

दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने सरकार से लॉकडाउन समेत अन्य कदम उठाने पर विचार करने को कहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली-NCR में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शनिवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से नाराजगी जताई. सरकार को दो दिन के लॉकडाउन जैसे अन्य कदमों पर विचार करने का सुझाव दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में इमरजेंसी वाले हालात हैं. दो-तीन में हालात पर काबू पाने की जरूरत है. न्यायालय ने कहा कि हर बार किसानों को कोसना फैशन बन गया है. केंद्र को 15 नवंबर को आपातकालीन योजना लेकर आने को कहा है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. सीजेआई ने कहा, हालात कैसे हैं सब जानते हैं. यहां तक हम घर में भी मास्क लगाते हैं. ये बताइए प्रदूषण (Pollution) से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. पराली जलाने से हालात खराब हुए हैं. इसे रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?

  2. CJI ने सवाल उठाया, ऐसा लग रहा है कि आप कह रहे हैं कि केवल किसान ही इसके लिए जिम्मेदार हैं. हमें ये सरकार उस सरकार से कुछ लेना देना नहीं है. ये बताइए कि ये कुछ प्रतिशत है. बाकी प्रदूषण का क्या? आप क्या प्रभावी कदम उठा रहे हैं? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा, सवाल किसानों का नहीं है. सवाल योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने का है. 

  3. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि पराली के अलावा वाहन, धूल आदि भी मुद्दे हैं, जिन्हें देखने की जरूरत है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर भी सवाल उठाए और कहा कि सभी सरकारों द्वारा हर बार किसानों को कोसना फैशन बन गया है. पटाखों पर बैन लगाया तो क्या हुआ? पिछले 7-8 दिनों में क्या हो रहा है? दिल्ली पुलिस क्या कर रही है? साथ ही कुछ तरह के वाहनों पर रोक लगाने जैसे कदम उठाने पर विचार करने को कहा. 

  4. सीजेआई ने कहा कि प्रदूषण में कुछ फीसद योगदान पराली जलाने का है. बाकी दिल्ली में प्रदूषण, विशेष रूप से पटाखे, उद्योग, धूल आदि से है. हमें तत्काल नियंत्रण के उपाय चाहिए. जरूरत पड़ी तो 2 दिन के लॉकडाउन या कुछ और सोचें. वरना लोग कैसे रहेंगे? राजनीति और सरकार से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है. 

  5. सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता से कहा, केंद्र क्यों नहीं किसानों से पराली लेती और उद्योगों को देती? हमें कुछ जिलों और सोसाइटी की जानकारी दें जहां पराली प्रबंधन किया जा रहा है.