कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो)
चंडीगढ़: सतलुज यमुना लिंक नहर पर हरियाणा के हक़ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पंजाब की सियासत गरमाई हुई है. गुरुवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह के लोकसभा से इस्तीफे के बाद शुक्रवार को कांग्रेस के सभी विधायकों ने भी इस्तीफ़ा दे दिया. कांग्रेस अब इस मुद्दे पर पुतला दहन और रैली की तैयारी में है. माहौल में तनाव का असर दिखने लगा है.
ऐलान के मुताबिक कांग्रेस के 42 विधायक तय वक़्त पर पंजाब विधानसभा पहुंच गए. लेकिन स्पीकर नदारद थे तो उनके दफ्तर में इस्तीफे सौंप दिए. कांग्रेस के बाउंसर पर छक्का मारने के लिए अकाली बीजेपी सरकार ने 16 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है. इस्तीफ़ा मंज़ूर नहीं हुआ तो भी कांग्रेसी विधायक सदन में हाज़िर नहीं होंगे. प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, 'वो बुला लें सत्र, हमने इस्तीफ़ा दे दिया है. अब हमें विधानसभा से कोई मतलब नहीं है.'
वहीं पंजाब के उप मुख्यमंत्री और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाया कि कैप्टन एसवाईएल मुद्दे पर अपनी टीम सहित भाग रहे हैं. कैप्टन चाहते हैं कि पंजाब में राष्ट्रपति शासन लग जाए ताकि पंजाब का पानी हरियाणा को एक मिनट में मिल जाए.
सियासी उठापटक का नतीजा ज़मीन पर दिखने लगा है. दोनों राज्यों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र हरियाणा ने अपनी लंबी दूरी की बसों के पंजाब जाने पर ब्रेक लगा दिया है जिससे यात्री परेशान रहे.
जाटों की खाप महासभा ने भी नहर का काम शुरू करने के लिए केंद्र सरकार को दो दिन की मोहलत दी है नहीं तो पंजाब का दिल्ली से रोड और रेल लिंक काट दिया जायेगा.
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'कहीं भी कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो इसकी ज़िम्मेवारी बीजेपी की होगी क्योंकि उसकी सरकार केंद्र में है जिसे नहर बनवानी है और हरियाणा-पंजाब में भी उसी की सरकार है.'