राहुल बजाज (Rahul Bajaj) ने अमित शाह (Amit Shah) के सामने बिज़नेस जगत में भय का सवाल उठाकर सबको चौंका दिया. अब 24 घंटे के अंदर ही उन्हें कई तरह के ताने झेलने पड़ रहे हैं. अपनी बात रखने के दो दिन बाद भी राहुल बजाज को सरकार की ओर से जवाब सुनना पड़ रहा है. पहले इसे राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ बताने के बाद निर्मला सीतारमन (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को लोकसभा में भी कहा कि वो आलोचना सुनती रही हैं, सुनने को तैयार हैं. निर्मला सीतारमन ने कहा, मैं उस दिन स्टेज पर मौजूद थी. हम हर तरह की बात सुनने को तौयार हैं. हम किसी भी तरह की आलोचना का जवाब देने के लिए भी तैयार हैं."
उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ ने एनडीटीवी से कहा, "मुझे नहीं लगता कि राहुल बजाज पर किसी को हमला करना चाहिये. राहुल बजाज के पास इस मुद्दे को उठाने का अधिकार है. मेरी राय में राहुल बजाज द्वारा इस मुद्दे को उठाने से पूरे उद्योग जगत ने राहत महसूस की होगी."
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दरअसल संसद के गलियारों में सोमवार को इस मसले पर चर्चा होती रही. विपक्ष ने राहुल बजाज के आरोप को सही बताया. राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा, 'इंडस्ट्री में भय का माहौल सरकार की नीतियों की वजह से ही खड़ा हुआ है. जब तक डर का माहौल रहेगा, अर्थव्यवस्था की चुनौती बनी रहेगी. ये सरकार की जिम्मेदारी है कि भय का माहौल दूर करे.'
आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा, 'राहुल बजाज का डर सही साबित हो रहा है. उनके बयान के बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया आई है, उन्हें ट्रोल किया जा रहा है, उनका इतिहास खंगाला जा रहा है, उससे उनकी बात सही साबित हुई है.'
हालांकि उद्योगपति और राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने एनडीटीवी से बात करते हुए इसे एक अलग ही नजर से देखा. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'राहुल बजाज ने सबसे बड़ा सवाल उठाया है कि आज बड़े उद्योगपति असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. आज टॉप क्लास के व्यापार दिग्गजों का प्रभाव कम हुआ है. भय उन व्यापारियों को होना चाहिए जिन्होंने कुछ गलत काम किया है. जो ईमानदार हैं उन्हें क्यों डरना चाहिए?
कुछ सांसद मानते हैं सरकार की नीतियां ही भय के माहौल के लिए जिम्मेवार हैं और इससे निजी क्षेत्र में नया निवेश को प्रोत्साहित करने की सरकार की कोशिश पर असर पड़ सकता है. कुछ सांसदों का नज़रिया अलग है. लेकिन इस मसले पर राहुल बजाज ने देश में एक बड़े बहस छेड़ दी है.
उधर केन्द्रीय मंत्री श्रीपद नायक ने एनडीटीवी से कहा - जब तक उद्योगपति सरकार के सामने समस्याएं नहीं रखेंगे, समाधान निकालना मुश्किल होगा. साफ है, राहुल बजाज ने बड़े सवाल उठाए हैं और मंदी से जूझ रही सरकार को इस संवेदनशील मसले से संभल कर निपटना होगा.
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