इशरत जहां एनकाउंटर मामले पर फिर सियासत तेज

इशरत जहां एनकाउंटर मामले पर फिर सियासत तेज

इशरत जहां (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

इशरत जहां को लेकर बीजेपी ने राज्यसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया है। पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई और पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि के बयानों के बाद पार्टी मान रही है कि चिदंबरम को जवाब देना चाहिए। इधर सोनिया गांधी ने कहा है कि वो इशरत मामले में चिदंबरम के साथ हैं।

इशरत जहां मामले की जांच के तरीके पर गृह मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे आर.वी.एस. मणि ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इशरत मामले में हलफ़नामा बदलने के लिए उनको टॉर्चर किया गया और जांचकर्ताओं ने उन्हें गालियां दीं। अब वो इस मामले को कानूनी तौर पर आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। बुधवार को मणि ने दिल्ली हाई कोर्ट में वकीलों से लंबी मुलाकात की।

उधर जून 2004 में मारी गई इशरत जहां को लेकर पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई के आरोप से शुरू हुआ सिलसिला अब संसद तक जा पहुंचा है। राज्यसभा में बीजेपी ने इस मामले में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया। संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, "अब सच सामने आ गया है। मुझे लगता है, इस पर संसद में बहस होनी चाहिए और उचित कार्रवाई होनी चाहिए। हलफ़नामा बदलने की कैफ़ियत क्या हो सकती है? आपके पास कोई जवाब है तो बताएं।"

बीजेपी के निशाने पर सीधे चिदंबरम हैं जिन पर इशरत के लश्कर का आतंकी होने का हलफ़नामा बदलने का आरोप है। हालांकि सोनिया गांधी का कहना है, पार्टी चिदंबरम के साथ खड़ी है।

जाहिर है, अब तक मामला अदालत में है। लेकिन तब तक सियासत तो हो सकती है। ख़ासकर इसलिए भी कि कुछ बड़े अफ़सरों के बयान सीधे-सीधे यूपीए सरकार के ख़िलाफ़ जाते हैं।

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आर.वी.एस. मणी ने इशरत जहां मामले की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। लेकिन साथ ही, ये सवाल भी उठने लगा है कि क्या अपने आरोपों को साबित करने के लिए मणी ज़रूरी सबूत जुटा पाएंगे। फिलहाल इतना ज़रूर है कि उनके आरोपों से इशरात जहां मामले की पेचीदगी और बढ़ ज़रूर गयी है।