नई दिल्ली:
केंद्र सरकार एनआरआई को प्रॉक्सी वोट का अधिकार देना चाहती है. वो इसके लिए कानून में संशोधन करने की तैयारी में है. लेकिन गुरुवार को कई विपक्षी दलों ने इस फ़ैसले का विरोध किया. कांग्रेस ने कहा कि सरकार सबसे विचार करके ही कोई फ़ैसला करे. सीपीएम सांसद तपन सेन ने एनडीटीवी से कहा, 'हम इस प्रस्ताव के सख्त खिलाफ हैं. अप्रवासी भारतीयों को ये सुविधा देना ज़रूरी नहीं है. उनका केस आर्म्ड फोर्सेस से अलग है. उन्हें प्रॉक्सी वोटिंग राइट्स नहीं दिया जाना चाहिये..'
हालांकि केंद्रीय कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है. इसके लिए जनप्रतिनिधित्व क़ानून में संशोधन किया जाएगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की पहल के बाद कैबिनेट से फैसला किया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में कुल एक करोड़ से ज़्यादा अप्रवासी भारतीय हैं. इनमें से बस एक लाख से कुछ ऊपर लोग देश कर वोट कर पाते हैं.
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के भी अपने-अपने एतराज़ हैं. कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफज़ल ने कहा कि सरकार को कानून में संशोधन के लिए बिल लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों से बात करनी चाहिये. जबकि समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, 'एक ही नागरिक को दो अलग-अलग देशों में वोटिंग का अधिकार नहीं मिलना चाहिये.
ज़ाहिर है, संसद में सरकार के लिए आगे की राह आसान नहीं दिखती. अप्रवासी भारतीय प्रोक्सी वोटिंग के अधिकार की मांग बरसों से करते रहे हैं. सरकार उनकी मांग को स्वीकार कर अब कानून में संशोधन की तैयारी कर रही है. लेकिन विपक्ष ने जो सवाल खड़े किये हैं उसके बाद इस मामले में राजनीतिक आम राय बनाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
VIDEO: पंजाब चुनाव के प्रचार में कूदे एनआरआई
हालांकि केंद्रीय कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है. इसके लिए जनप्रतिनिधित्व क़ानून में संशोधन किया जाएगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की पहल के बाद कैबिनेट से फैसला किया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में कुल एक करोड़ से ज़्यादा अप्रवासी भारतीय हैं. इनमें से बस एक लाख से कुछ ऊपर लोग देश कर वोट कर पाते हैं.
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के भी अपने-अपने एतराज़ हैं. कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफज़ल ने कहा कि सरकार को कानून में संशोधन के लिए बिल लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों से बात करनी चाहिये. जबकि समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, 'एक ही नागरिक को दो अलग-अलग देशों में वोटिंग का अधिकार नहीं मिलना चाहिये.
ज़ाहिर है, संसद में सरकार के लिए आगे की राह आसान नहीं दिखती. अप्रवासी भारतीय प्रोक्सी वोटिंग के अधिकार की मांग बरसों से करते रहे हैं. सरकार उनकी मांग को स्वीकार कर अब कानून में संशोधन की तैयारी कर रही है. लेकिन विपक्ष ने जो सवाल खड़े किये हैं उसके बाद इस मामले में राजनीतिक आम राय बनाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
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