नजीब अहमद (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
जेएनयू छात्र नजीब अहमद को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर नाम की बीमारी थी. 2012 से उसका इलाज चल रहा है. दिल्ली के विमहन्स हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. पुलिस ने डॉक्टर के बयान लिए हैं और उसकी दवाएं और दवाओं के पर्चे लिए. उसके रूम से भी कुछ दवाएं बरामद हुई हैं. इस बीमारी में कई बार लोग कही एकांत में जाकर चुपचाप बैठ जाते हैं. नजीब की मां को इसकी जानकारी है.
उसकी मां नहीं चाहती थी कि नजीब दिल्ली में अकेला रहे. पुलिस की जांच का एक एंगल ये भी है. लेकिन पुलिस को अब तक ये पता नहीं चला की वो है कहां. कई शहरों की दरगाहों, मस्जिदों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और कई अन्य जगहों की तलाश की जा रही है.
नजीब ने पहले थप्पड़ मारा था इसलिए उसे उस रात हॉस्टल से सस्पेंड कर दिया गया था. नजीब अहमद को तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस की SIT करीब 450 पुलिसवालों के साथ तलाशी अभियान चला रही है.
नजीब 10 क्लास से लेकर अब तक जिन-जिन स्कूल, कॉलेज या फिर इंस्टीट्यूट में पढ़ा वहां भी पुलिस टीमें गईं और उसके टीचर्स, क्लासमेट से उसके बारे में जानने की कोशिश की. पुलिस ने नजीब की साइको-एनालिटिकल प्रोफाइलिंग की है. पुलिस ने इन्वेस्टीगेशन के दौरान उसका स्वभाव और मनोदशा जानने की कोशिश की है. इसके जरिये पुलिस ने ये जानने की कोशिश की, कि नजीब के साथ उस रात जो हुआ उसके बाद वो क्या स्वाभाविक कदम उठा सकता है.
जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि नजीब एक ऐसा लड़का था जिसके जीवन का हर फैसला उसकी मां करती थी. वो अपनी मां का लाडला था. नजीब के परिवार में वो सबसे बड़ा बेटा है, उसके अलावा एक छोटी बहन और भाई है. नजीब के पिता बेड रेस्ट पर हैं बीमारी के चलते. नजीब और उसके भाई बहन की पढ़ाई का पूरा जिम्मा मां पर था.
बरेली में कॉलेज में एडमिशन भी इसकी मां खुद जाकर करवा आई थी और इनको वहां से फ़ोन करके बताया था कि तुम्हारा एडमिशन इस कॉलेज में करवा दिया है. नजीब ने कभी भी अपनी मां के किसी फैसले पर सवाल नही उठाया. अपनी मां और परिवार के अलावा वो कहीं नहीं गया कभी. जेएनयू में एडमिशन के बाद भी मां उसको हॉस्टल में अकेले छोड़ने को तैयार नहीं थी. मां ने कहा था कि कहीं रूम किराये पर लेकर रहेंगे और मैं साथ रहूंगी. लेकिन जेएनयू के कुछ स्टूडेंट्स के मनाने पर वो मान गई थीं.
कोटा से सीपीएमटी और कानपुर से पीएमटी की तैयारी के चक्कर में उसकी पढ़ाई के बीच में चार साल का गेप आने से भी वो काफी हताश हो गया था. उसको JNU में भेजा. अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ था नजीब को JNU में आये और वो गायब हो गया.
नजीब को हॉस्टल से निकालने से पहले जब उससे पूछा गया कि पहले उसने क्यों छात्र पर हाथ उठाया तो वो कोई जवाब नही दे पाया था, उसका कहना था कि मैंने चांटा मारा था लेकिन क्यों मुझे इस बारे में कुछ याद नहीं. दिल्ली, अजमेर, कोटा, रुड़की, आजमगढ़, बरेली, फैजाबाद, बदायूं में कई दिनों से दिल्ली पुलिस तैनात है और तलाश कर रही है.
दिल्ली के सभी सरकारी अस्पताल में जिन्दा और मृत सभी अज्ञात लोगों की पहचान के लिए 13 पुलिस टीमों में करीब 54 पुलिसवाले लगे हैं. जो जानकारी मिलते ही नजीब की फोटो लेकर उस हॉस्पिटल के लिए रवाना हो जाते हैं. अब दिल्ली के बाहर के सभी कई बड़े शहरों के हाईवे पर थाने-थाने तलाशी अभियान चल रहा है. इस अभियान में नजीब के 20 हजार पोस्टर और लगेंगे अलग अलग शहरों में.
उसके मोबाइल फोन लेपटॉप की जांच की गई, फ़ोन की डिटेल खंगाली गई, लैपटॉप पर लास्ट सर्च देखे गये. पता चला की उसकी कोई महिला मित्र भी नहीं थी. उसने लास्ट सर्च नॉर्थ ईस्ट के एक शहर की थी. बाद में पता चला कि वहां उसका जेएनयू का एक क्लासमेट रहता है. उसने ही उसको नजीब के लैपटॉप पर अपना शहर दिखाया था. दोस्तों के मुताबिक, नजीब ऐसा लड़का था जो बिना अपने दोस्तों के कभी कैंपस से बाहर तक अकेले नहीं जा सकता था.
जेएनयू के अंदर ग्रीन एरिया और ओपन एरिया में 44 पुलिसवाले और JNU के निजी गॉर्ड के साथ 2 बार सर्च ऑपरेशन भी किया जा चुका है. पुलिस ने कैंपस के आसपास के अब तक सभी सीसीटीवी चेक किये, उस रूट पर चलने वाले करीब तीन सौ ऑटो वालों से पूछताछ की लेकिन नतीजा सिफर रहा.
उसकी मां नहीं चाहती थी कि नजीब दिल्ली में अकेला रहे. पुलिस की जांच का एक एंगल ये भी है. लेकिन पुलिस को अब तक ये पता नहीं चला की वो है कहां. कई शहरों की दरगाहों, मस्जिदों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और कई अन्य जगहों की तलाश की जा रही है.
नजीब ने पहले थप्पड़ मारा था इसलिए उसे उस रात हॉस्टल से सस्पेंड कर दिया गया था. नजीब अहमद को तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस की SIT करीब 450 पुलिसवालों के साथ तलाशी अभियान चला रही है.
नजीब 10 क्लास से लेकर अब तक जिन-जिन स्कूल, कॉलेज या फिर इंस्टीट्यूट में पढ़ा वहां भी पुलिस टीमें गईं और उसके टीचर्स, क्लासमेट से उसके बारे में जानने की कोशिश की. पुलिस ने नजीब की साइको-एनालिटिकल प्रोफाइलिंग की है. पुलिस ने इन्वेस्टीगेशन के दौरान उसका स्वभाव और मनोदशा जानने की कोशिश की है. इसके जरिये पुलिस ने ये जानने की कोशिश की, कि नजीब के साथ उस रात जो हुआ उसके बाद वो क्या स्वाभाविक कदम उठा सकता है.
जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि नजीब एक ऐसा लड़का था जिसके जीवन का हर फैसला उसकी मां करती थी. वो अपनी मां का लाडला था. नजीब के परिवार में वो सबसे बड़ा बेटा है, उसके अलावा एक छोटी बहन और भाई है. नजीब के पिता बेड रेस्ट पर हैं बीमारी के चलते. नजीब और उसके भाई बहन की पढ़ाई का पूरा जिम्मा मां पर था.
बरेली में कॉलेज में एडमिशन भी इसकी मां खुद जाकर करवा आई थी और इनको वहां से फ़ोन करके बताया था कि तुम्हारा एडमिशन इस कॉलेज में करवा दिया है. नजीब ने कभी भी अपनी मां के किसी फैसले पर सवाल नही उठाया. अपनी मां और परिवार के अलावा वो कहीं नहीं गया कभी. जेएनयू में एडमिशन के बाद भी मां उसको हॉस्टल में अकेले छोड़ने को तैयार नहीं थी. मां ने कहा था कि कहीं रूम किराये पर लेकर रहेंगे और मैं साथ रहूंगी. लेकिन जेएनयू के कुछ स्टूडेंट्स के मनाने पर वो मान गई थीं.
कोटा से सीपीएमटी और कानपुर से पीएमटी की तैयारी के चक्कर में उसकी पढ़ाई के बीच में चार साल का गेप आने से भी वो काफी हताश हो गया था. उसको JNU में भेजा. अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ था नजीब को JNU में आये और वो गायब हो गया.
नजीब को हॉस्टल से निकालने से पहले जब उससे पूछा गया कि पहले उसने क्यों छात्र पर हाथ उठाया तो वो कोई जवाब नही दे पाया था, उसका कहना था कि मैंने चांटा मारा था लेकिन क्यों मुझे इस बारे में कुछ याद नहीं. दिल्ली, अजमेर, कोटा, रुड़की, आजमगढ़, बरेली, फैजाबाद, बदायूं में कई दिनों से दिल्ली पुलिस तैनात है और तलाश कर रही है.
दिल्ली के सभी सरकारी अस्पताल में जिन्दा और मृत सभी अज्ञात लोगों की पहचान के लिए 13 पुलिस टीमों में करीब 54 पुलिसवाले लगे हैं. जो जानकारी मिलते ही नजीब की फोटो लेकर उस हॉस्पिटल के लिए रवाना हो जाते हैं. अब दिल्ली के बाहर के सभी कई बड़े शहरों के हाईवे पर थाने-थाने तलाशी अभियान चल रहा है. इस अभियान में नजीब के 20 हजार पोस्टर और लगेंगे अलग अलग शहरों में.
उसके मोबाइल फोन लेपटॉप की जांच की गई, फ़ोन की डिटेल खंगाली गई, लैपटॉप पर लास्ट सर्च देखे गये. पता चला की उसकी कोई महिला मित्र भी नहीं थी. उसने लास्ट सर्च नॉर्थ ईस्ट के एक शहर की थी. बाद में पता चला कि वहां उसका जेएनयू का एक क्लासमेट रहता है. उसने ही उसको नजीब के लैपटॉप पर अपना शहर दिखाया था. दोस्तों के मुताबिक, नजीब ऐसा लड़का था जो बिना अपने दोस्तों के कभी कैंपस से बाहर तक अकेले नहीं जा सकता था.
जेएनयू के अंदर ग्रीन एरिया और ओपन एरिया में 44 पुलिसवाले और JNU के निजी गॉर्ड के साथ 2 बार सर्च ऑपरेशन भी किया जा चुका है. पुलिस ने कैंपस के आसपास के अब तक सभी सीसीटीवी चेक किये, उस रूट पर चलने वाले करीब तीन सौ ऑटो वालों से पूछताछ की लेकिन नतीजा सिफर रहा.
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