कोलकाता:
शारदा चिट फंड घोटाले में सुदीप्तो सेन को गिरफ्तार करने के बाद आज गांदरबल कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने सुदीप्तो को चार दिनों के ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता पुलिस के हवाले कर दिया।
सुदीप्तो को आज हवाई जहाज से दिल्ली लाया जाएगा और ट्रेन से गुरुवार को कोलकाता ले जाया जाएगा। सुदीप्तो ने कोर्ट से कहा है कि वह कोलकाता पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेगा। सुदीप्तो पर लाखों लोगों की जमा पूंजी हड़पने का आरोप है। जम्मू-कश्मीर के सोनम में सुदीप्तो के साथ उसके दो सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया, इनमें सुदीप्तो का दोस्त अरविंद और देबजानी शामिल हैं।
वहीं एक अंग्रेजी अखबार (इंडियन एक्सप्रेस) के हवाले से खबर है कि सुदिप्तो सेन सीबीआई को एक 18 पेज का खत लिखा है। सूत्रों का कहना है कि इस पत्र में कई नेताओं और अधिकारियों के नाम हैं, जिन्होंने कंपनी का बेजा इस्तेमाल किया।
(इंडियन एक्सप्रेस की खबर पढ़ें)
माना जा रहा है कि इससे बंगाल के कई नेताओं और अधिकारियों की चिटफंड कंपनी में सांठगांठ के बारे में खुलासा होगा। साथ ही साथ सुदिप्तो ने सीबीआई को लिखे इस खत में कई मंत्रियों पर ब्लैकमेलिंग के आरोप भी लगाए हैं।
सूत्रों के मुताबिक,शारदा ग्रुप के मीडिया कारोबार के सीएमडी और राज्यसभा सांसद कुणाल घोष और सृंजॉय घोष पर आरोप लगाए हैं।
अब जब तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के सामने अपने सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है, ऐसे में बोस का कहना है कि उनका चिटफंड कंपनी के साथ कोई संबंध नहीं है।
राज्यसभा के सांसद सृंजॉय बोस ने कहा कि जिस समाचार पत्र के वह मालिक थे वह शारदा ग्रुप द्वारा चलाए जा रहे चैनल को सामग्री उपलब्ध करा रहे थे। यह सब एक समझौते के तहत हो रहा था जो पिछले वर्ष मई में समाप्त हो गया क्योंकि शारदा ग्रुप द्वारा दिए गए चैक बाउंस हो रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इसलिए नहीं बताया गया क्योंकि यह एक व्यावसायिक समस्या थी और ममता बनर्जी को बताने का मतलब होता कि पार्टी प्रमुख का गलत इस्तेमाल।
पिछले वर्ष अप्रैल तक कुणाल घोष शारदा के मीडिया समूह के प्रमुख रहे हैं। उनका तर्क है कि वह एक वेतन लेने वाले कर्मचारी से ज्यादा कुछ नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी के चिट फंड की गड़बड़ी के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
कई निवेशखों और एजेंटों का कहना है कि उन्होंने कंपनी में पैसे इसलिए लगाए क्योंकि ऐसा लगा था कि कंपनी के पीछे तृणमूल कांग्रेस है। ममता बनर्जी ने कहा कि शारदा ग्रुप से उनकी पार्टी का कोई नाता नहीं है और जो लोग यह बोल रहे हैं वह उनके विरोधी दल लेफ्ट के लोग हैं। बता दें कि पिछले वर्ष शारदा ग्रुप के दो प्रकाशनों के कार्यक्रमों में मौजूद थीं।
सुदीप्तो को आज हवाई जहाज से दिल्ली लाया जाएगा और ट्रेन से गुरुवार को कोलकाता ले जाया जाएगा। सुदीप्तो ने कोर्ट से कहा है कि वह कोलकाता पुलिस के साथ पूरा सहयोग करेगा। सुदीप्तो पर लाखों लोगों की जमा पूंजी हड़पने का आरोप है। जम्मू-कश्मीर के सोनम में सुदीप्तो के साथ उसके दो सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया, इनमें सुदीप्तो का दोस्त अरविंद और देबजानी शामिल हैं।
वहीं एक अंग्रेजी अखबार (इंडियन एक्सप्रेस) के हवाले से खबर है कि सुदिप्तो सेन सीबीआई को एक 18 पेज का खत लिखा है। सूत्रों का कहना है कि इस पत्र में कई नेताओं और अधिकारियों के नाम हैं, जिन्होंने कंपनी का बेजा इस्तेमाल किया।
(इंडियन एक्सप्रेस की खबर पढ़ें)
माना जा रहा है कि इससे बंगाल के कई नेताओं और अधिकारियों की चिटफंड कंपनी में सांठगांठ के बारे में खुलासा होगा। साथ ही साथ सुदिप्तो ने सीबीआई को लिखे इस खत में कई मंत्रियों पर ब्लैकमेलिंग के आरोप भी लगाए हैं।
सूत्रों के मुताबिक,शारदा ग्रुप के मीडिया कारोबार के सीएमडी और राज्यसभा सांसद कुणाल घोष और सृंजॉय घोष पर आरोप लगाए हैं।
अब जब तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के सामने अपने सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है, ऐसे में बोस का कहना है कि उनका चिटफंड कंपनी के साथ कोई संबंध नहीं है।
राज्यसभा के सांसद सृंजॉय बोस ने कहा कि जिस समाचार पत्र के वह मालिक थे वह शारदा ग्रुप द्वारा चलाए जा रहे चैनल को सामग्री उपलब्ध करा रहे थे। यह सब एक समझौते के तहत हो रहा था जो पिछले वर्ष मई में समाप्त हो गया क्योंकि शारदा ग्रुप द्वारा दिए गए चैक बाउंस हो रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इसलिए नहीं बताया गया क्योंकि यह एक व्यावसायिक समस्या थी और ममता बनर्जी को बताने का मतलब होता कि पार्टी प्रमुख का गलत इस्तेमाल।
पिछले वर्ष अप्रैल तक कुणाल घोष शारदा के मीडिया समूह के प्रमुख रहे हैं। उनका तर्क है कि वह एक वेतन लेने वाले कर्मचारी से ज्यादा कुछ नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी के चिट फंड की गड़बड़ी के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
कई निवेशखों और एजेंटों का कहना है कि उन्होंने कंपनी में पैसे इसलिए लगाए क्योंकि ऐसा लगा था कि कंपनी के पीछे तृणमूल कांग्रेस है। ममता बनर्जी ने कहा कि शारदा ग्रुप से उनकी पार्टी का कोई नाता नहीं है और जो लोग यह बोल रहे हैं वह उनके विरोधी दल लेफ्ट के लोग हैं। बता दें कि पिछले वर्ष शारदा ग्रुप के दो प्रकाशनों के कार्यक्रमों में मौजूद थीं।
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