बेमौसम बारिश, ओला या किसी भी कुदरती क़हर से मची तबाही की हालत में किसानों को अब ज्यादा मुआवज़ा मिलेगा। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के मुताबिक अब सरकारी मुआवजे का दायरा भी बढ़ा दिया गया।
अभीतक 50 फीसदी फसल बर्बाद होने पर ही सरकारी मुआवज़ा मिलता रहा है लेकिन अब 33 फीसदी तबाही पर भी किसान मुआवज़े के हकदार होंगे, साथ ही मुआवजे की रकम भी पहले से डेढ़ गुनी होगी।
ऐलान के बाद मुआवजे की रकम बिना सिंचाई वाली फसलों के लिए 4500 रु. से बढ़कर 6750 रु प्रति हेक्टेयर और सिंचाई वाली फ़सलों के लिए 9000 रु. की जगह 13500 रु. प्रति हेक्टेयर होगी। ऐसे ही वार्षिक फसलों के लिए मुआवजा 12,000 रु. से अब 18000 रु. प्रति हेक्टेयर होगा।
पर सबसे बड़ा सवाल किसानों को वक्त पर मिलने वाली राहत को लेकर है क्योंकि एक तरफ जहां स्थानीय स्तर पर नुकसान के जायजे में गड़बड़ियां होती है, वहीं दिल्ली से चला मुआवजा कई मंत्रालयों के चक्कर काटता जबतक किसानों तक पहुंचता है, बहुत देर हो चुकी होती है।
प्रभावित किसानों को ज़्यादा मुआवजा देने का फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब देश में लाखों प्रभावित फसल बर्बाद होने के बाद मुआवज़ा मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि केन्द्र राज्य सरकारों के साथ मिलकर कितनी जल्दी प्रभावित किसानों तक राहत पहुंचाने में कामयाब हो पाती है।
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