
फाइल फोटो
कोलकाता:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शनिवार एक दिन की कोलकाता यात्रा के दौरान रामकृष्ण मठ और मिशन ऑर्डर के अध्यक्ष स्वामी आत्मस्थानंद महाराज से मिलेंगे। 97 साल के महाराज पिछले कुछ समय से बीमार हैं।
मठ के सहायक सचिव सुबीरानंद महाराज ने कहा कि मोदीजी उन्हें अपने गुरु की तरह मानते हैं और उनसे मिलना चाहते हैं, क्योंकि हमारे महाराज काफी बूढ़े हो गए हैं और लंबे समय से अस्पताल में हैं। जब दोनों राजकोट में थे तो मोदीजी उनसे दिशा-निर्देश लेने जाते थे।'
कहा जाता है कि पीएम मोदी युवावस्था में पहली बार बेलूर मठ गए थे, वहां वह संन्यासी बनना चाहते थे, लेकिन उनके कम उम्र को देखते हुए उनका यह आग्रह ठुकरा दी गई थी। उन्होंने मोदी से कहा कि वह लोगों की खातिर काम करने के लिए बने हैं न कि संन्यास के लिए। इसके बाद मोदी अपने गुरु आत्मस्तनंद के साथ राजकोट लौट आए और आरएसएस की सदस्यता ले ली। इसके बाद वह राजनीति में उतरे।
स्वामी विवेकानंद की ओर से शुरू किए मिशन ऑर्डर के अध्यक्ष स्वामी आत्मस्थानंद 97 साल के हैं। वह बुढ़ापे से जुड़ी बिमारियों से पीड़ित हैं। 21 फरवरी से रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान में भर्ती हैं, जहां मोदी उनसे मिलेंगे। पिछले साल मोदी के चुनाव जीतने के बाद स्वामीजी ने उन्हें बधाई दी थी और मठ पर आने का आमंत्रण दिया था। प्रधानमंत्री के बेलूर मठ जाने का भी कार्यक्रम है, जो संगठन का वैश्विक मुख्यालय है।
मठ के सहायक सचिव सुबीरानंद महाराज ने कहा कि मोदीजी उन्हें अपने गुरु की तरह मानते हैं और उनसे मिलना चाहते हैं, क्योंकि हमारे महाराज काफी बूढ़े हो गए हैं और लंबे समय से अस्पताल में हैं। जब दोनों राजकोट में थे तो मोदीजी उनसे दिशा-निर्देश लेने जाते थे।'
कहा जाता है कि पीएम मोदी युवावस्था में पहली बार बेलूर मठ गए थे, वहां वह संन्यासी बनना चाहते थे, लेकिन उनके कम उम्र को देखते हुए उनका यह आग्रह ठुकरा दी गई थी। उन्होंने मोदी से कहा कि वह लोगों की खातिर काम करने के लिए बने हैं न कि संन्यास के लिए। इसके बाद मोदी अपने गुरु आत्मस्तनंद के साथ राजकोट लौट आए और आरएसएस की सदस्यता ले ली। इसके बाद वह राजनीति में उतरे।
स्वामी विवेकानंद की ओर से शुरू किए मिशन ऑर्डर के अध्यक्ष स्वामी आत्मस्थानंद 97 साल के हैं। वह बुढ़ापे से जुड़ी बिमारियों से पीड़ित हैं। 21 फरवरी से रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान में भर्ती हैं, जहां मोदी उनसे मिलेंगे। पिछले साल मोदी के चुनाव जीतने के बाद स्वामीजी ने उन्हें बधाई दी थी और मठ पर आने का आमंत्रण दिया था। प्रधानमंत्री के बेलूर मठ जाने का भी कार्यक्रम है, जो संगठन का वैश्विक मुख्यालय है।
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