PM Narendra Modi at Red Fort Azad Hind Sarkar 75th Anniversary LIVE:
- लाल किले से पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साथा और कहा कि हमें दूसरों की जमीन का लालच नहीं है.
- आज़ादी के लिए जो समर्पित हुए वो उनका सौभाग्य था, हम जैसे लोग जिन्हें ये अवसर नहीं मिला, हमारे पास देश के लिए जीने का, विकास के लिए समर्पित होने का मौका है. आज मैं कह सकता हूं कि भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था. जोश, जुनून औरजज्बा तो हमारी सैन्य परंपरा का हिस्सा रहा ही है, अब तकनीक और आधुनिक हथियारों की शक्ति भी जुड़ रही है. हमारी सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी. हमें कभी किसी दूसरे की भूमि का लालच नहीं रहा, लेकिन भारत की संप्रभुता के लिए जो भी चुनौती बनेगा, उसको दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा .
- पीएम मोदी ने कहा कि ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया. देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी.
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि - "हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती : पीएम मोदी
-पीएम मोदी ने कहा कि भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है. इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी.
-पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी., मां भारती को गुलामी की जंजीर से आजाद कराना. यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था.
- पीएम मोदी आगे कहते हैं कि नेताजी ने मां को जवाब भी दिया कि हमें ऐसे नहीं रहना होगा. हमें उठना होगा और भारत को गुलामी की जंजीर से आजाद करना होगा. यह जवाब उन्होंने मां को अपने पत्र में ही दे दिया था.
- पीएम मोदी ने मां की लिखी चिट्ठी का उल्लेख करते हुए कहा कि 1912 में उन्होंने अपनी मां को चिट्ठी लिखी थी. वह चिट्ठी उस बात का गवाह है कि नेताजी के मन में गुलाम भारत के लिए कितनी वेदना थी, बेचैनी थी. दर्द था. ध्यान रहे उस वक्त वह काफी कम उम्र के थे. गुलामी ने देश का जो हाल किया था, उसकी पीड़ा को उन्होंने पत्र में साझा किया था. उन्होंने अपनी मां से पूछा था कि हमारा देश और दिनों दिन और भी गिरता जाएगा. क्या इस दुखिया भारत माता का एक भी पूत्र नहीं है जो पूरी तरह अपने स्वार्थ को तिलांजलि देकर अपना संपूर्ण जीवन भारत मां की सेवा में समर्पित कर दे. 15 साल की उम्र में नेता जी ने मां से यह सवाल पूछा.
- पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया. मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया. उन्होंने कहा कि आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं. इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था. उन्होंने कहा कि देश के बाहर रहकर व्यापक तंत्र विकसित करना. यह असाधारण था. नेताजी ने एक ऐसी सरकार के विरुद्ध लोगों को एकजुट किया, जिसका सूरज कभी अस्त नहीं होता था.
- आजाद हिंद सरकार की स्थापना के समय नेता जी ने शपथ लिया था कि इस लाल किले पर पूरी शान से तिरंगा लहराया जाएगा. आजाद हिंद सरकार अखंड भारत की सरकार थी, अविभाजित भारत की सरकार थी. आज आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे होने पर बधाई देता हूं. नेताजी ने अपने लक्ष्य को पाने के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था.
आजाद हिंद सरकार:
सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद सरकार का गठन 21 अक्टूबर 1943 को किया गया था. आजाद हिंद सरकार ने देश से बाहर अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और आजादी की लड़ाई में एक तरह से परोक्ष रूप से अहम भूमिका निंभाई थी. इसका नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस कर रहे थे. जर्मनी से एक 'यू बॉट' से दक्षिण एशिया आए, फिर वहां से जापान गये. जापान से वें सिंगापुर आये जहां आजा़द हिन्द की आस्थाई सरकार की नींव रखी गयी.
साल 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में प्रातीय आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी. उस समय 11 देशों की सरकारों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता दी थी. उस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोले थे. इसके अलावा आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पर अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी थी.
VIDEO: लालकिले पर झंडारोहण कार्यक्रम में शामिल होंगे पीएम मोदी
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