प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने साल 2020 के आखिरी 'मन की बात (Mann Ki Baat)' कार्यक्रम के जरिये देश को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी, आत्मनिर्भर, वोकल फॉर लोकल और तेंदुए एवं शेरों की बढ़ती आबादी का जिक्र किया. हालांकि, उन्होंने करीब 30 मिनट के अपने भाषण में किसानों के मुद्दे पर कोई बात नहीं की. प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2020 में चुनौतियां खूब आईं. संकट भी अनेक आए. कोरोना के कारण दुनिया में सप्लाई चेन को लेकर अनेक बाधाएं भी आईं, लेकिन, हमने हर संकट से नया सबक लिया."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले कई मौकों पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर बयान दे चुके हैं. उन्होंने विपक्ष पर कृषि कानूनों को लेकर किसानों के बीच भ्रम फैलाने का आरोप लगाया. कयास लगाए जा रहे थे कि पीएम मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम में किसानों के मुद्दे पर बात रख सकते हैं.
आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली विधानसभा के चीफ व्हिप दिलीप पाण्डेय ने पीएम मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "किसी ने आज मन की बात सुनी क्या? किसान भाइयों ने बहिष्कार किया था, इसलिए उनके समर्थन में हमने भी नहीं सुना. किसी ने बेमन से ही सही, मन की बात सुनी हो तो बताना, किसानों के लिए क्या कहा? लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हों, तो मुद्दा किसान ही हैं. अन्य बातें बकवास."
किसी ने आज #MannKiBaat सुनी क्या? किसान भाइयों ने बहिष्कार किया था, इसलिए उनके समर्थन में हमने भी नहीं सुना। किसी ने बेमन से ही सही, मन की बात सुनी हो तो बताना, किसानों के लिए क्या कहा? लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हों, तो मुद्दा किसान ही हैं। अन्य बातें बकवास।
— Dilip K. Pandey - दिलीप पाण्डेय (@dilipkpandey) December 27, 2020
वहीं दूसरी ओर, केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं. सिंघु बॉर्डर पर डेट किसानों ने पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान थाली बजाकर विरोध किया. फरीदकोट में थालियां बजाकर रोष जाहिर किया गया.
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