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This Article is From Sep 02, 2012

प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अडिग है भाजपा

मुंबई / नई दिल्ली: कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को साफ किया कि वह अभी भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे पर अडिग है लेकिन यदि सरकार सभी कोयला ब्लॉक आवंटनों को रद्द कर उनकी स्वतंत्र जांच कराए तो वह संसद की कार्यवाही बाधित नहीं करेगी।

इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का यह कहते हुए बचाव किया कि उनके मुख्यमंत्रियों ने कोयला ब्लॉक की नीलामी किए जाने का विरोध नहीं किया था।

ज्ञात हो कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने आरोप लगाया था कि भाजपा शासित राज्यों ने कोयला ब्लॉक की नीलामी का विरोध किया था।

भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि कथित कोयला घोटाले में पार्टी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की अपनी मांग से पीछे नहीं हटी है और वह अब भी अपनी इस मांग पर कायम है।

सुषमा ने मुम्बई में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भाजपा संसद में तभी कामकाज चलने देगी जब विवादास्पद कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द हो और इसकी स्वतंत्र जांच के आदेश दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह मतलब निकालना कि भाजपा ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग छोड़ दी है, गलत है। पार्टी ने सरकार को सिर्फ एक रास्ता दिखाया है कि ताकि संसद की कार्यवाही चल सके।

सुषमा ने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन दिन पहले मुझे फोन कर पूछा था कि क्या संसद में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है? मैंने कहा कि उन्हें आवंटन रद्द करनी चाहिए और जांच के आदेश देने चाहिए। सोनिया ने कहा कि वह बाद में मुझे बताएंगी, लेकिन वार्ता अब तक अधूरी है।" उन्होंने कहा, "इसका यह मतलब निकालना गलत है कि भाजपा ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग छोड़ दी है।"

सुषमा ने कहा, "संसद की कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए हमने दो शर्तें रखी हैं। यहां तक कि चर्चा के दौरान भी हम इस बात पर कायम रहेंगे कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि कोयला मंत्रालय का प्रभार उनके पास ही था।"

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के पद से मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को लेकर उनकी पार्टी सात सितम्बर को संसद का मानसून सत्र समाप्त होने के बाद सड़कों पर उतरेगी।

उधर, आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर मनमोहन सिंह की खिंचाई की। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया था कि निजी क्षेत्र को नीलामी के बगैर कोयला ब्लॉक इसलिए आवंटित किया गया क्योंकि भाजपा शासित सहित कुछ अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीलामी करने का विरोध किया था।

आडवाणी ने लिखा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। आडवाणी ने कहा, "रमन सिंह की यह मांग एकदम न्यायोचित है कि नीलामी के तहत राज्य को कमाई के रूप में मिलने वाले राजस्व में राज्य को हिस्सा मिले। रमन सिंह के इस पत्र को कैसे नीलामी का विरोध करने वाला कहा जा सकता है।"

रमन सिंह ने 2 मई 2005 को तत्कालीन कोयला मंत्री दसारी नारायण राव को लिखे पत्र में मांग की थी कि नीलामी की सूरत में राज्य सरकार को भी राजस्व का हिस्सा मिलना चाहिए।

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