चीन के खिलौना बाजार पर PM मोदी की नजर, 'मन की बात' में दिया साफ संकेत

'खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी . हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों .'

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात (Mann Ki Baat) के 68वें संस्करण में स्वदेशी खिलौने और कंप्यूटर गेम बनाने की अपील की. पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में गेम्स हों, खिलौने का सेक्टर हो, सभी ने, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. 100 वर्ष पहले, गांधी जी ने लिखा था कि –“असहयोग आन्दोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है.” 

प्रधानमंत्री ने कहा कि खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी . हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों. उन्होंने कहा कि खिलौने जहां एक्टिविटी को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं. बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है. '

ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी
पीएम ने कहा. 'ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रु. से अधिक की है. 7 लाख करोड़ रु. का इतना बड़ा कारोबार लेकिन भारत में उसका हिस्सा बहुत कम है. आप सोचिए जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परंपरा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए, हमें अच्छा लगेगा क्या? टॉय इंडस्ट्री बहुत व्यापक है. गृह उद्योग हो, लघु उद्योग हो, एमएसएमई हो इसके साथ साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं. इसे आगे बढ़ाने के लिए मिलकर मेहनत करनी होगी.'

'मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा'
पीएम ने कोरोनाकाल में बच्चों के घरों में रहने पर कहा, 'कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा. हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने . हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें, भारत, खिलौने प्रोडक्शन का बहुत बड़ा हब कैसे बने.'

भारत में खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा
भारत में खिलौनों की परंपरा को लेकर पीएम ने कहा, 'हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है. कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं .भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं. जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी -  कई ऐसे स्थान हैं, कई नाम गिना सकते हैं.'

खिलौनों के बाजार हो ज्यादा हिस्सेदारी
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा.

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कारीगरों ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस दिलाया
उन्होंने आगे कहा, 'अब जैसे आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में सी.वी. राजू हैं. उनके गांव के एति-कोप्पका टॉय एक समय में बहुत प्रचलित थे. इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई एंगल या कोण नहीं मिलता था. सी.वी. राजू ने एति-कोप्पका खिलौनों  के लिये, अब, अपने गांव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया आंदोलन शुरू कर दिया है . बेहतरीन क्वलालिटी के एति-कोप्पका खिलौने बनाकर सी.वी. राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है.'