प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में देश के पहले वेलनेस सेंटर का उद्घाटन 14 अप्रैल को करेंगे.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के बीजापुर में देश के पहले हेल्थ वेलनेस सेंटर का उद्घाटन 14 अप्रैल को करेंगे. इसका ऐलान सरकार ने बजट में किया था. सरकार देश में डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर खोलने का लक्ष्य रखा है और बीजापुर इस कड़ी में पहला कदम है. लेकिन सरकार अभी उस बीमा योजना की अधिक बात नहीं कर रही जिसके तहत उसने दस करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये का हेल्थ कवरेज देने की बात कही थी.
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने गुरुवार को कहा कि बीमा योजना से पहले प्राथमिक स्वास्थ्य को बेहतर करने की ज़रूरत है. देश के तमाम हिस्सों में स्वास्थ्य सेवा लचर है और दूरदराज़ के कई इलाकों में तो इसका नामोनिशान तक नहीं है. इस बीच प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के जंगला गांव में वैलनेस सेंटर का उद्घाटन करेंगे. सरकार की घोषित ताज़ा योजनाओं में बनाए जाने वाले वेलनेस सेंटरों में ये पहला वेलनेस सेंटर होगा.
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सरकार डेढ़ लाख हेल्थ और वैलनेस सेंटर बनाकर प्राथमिक स्वास्थ्य को दुरस्त करना चाहती है. ये वैलनेस सेंटर ज़िला अस्पतालों से जुड़े होंगे और दूरदराज के इलाकों में इनकी अहम भूमिका होगी.
ये लोगों को ज़रूरी सहूलियात मुहैया कराने के साथ ज़िला अस्पतालों पर दबाव कम करेंगे.
लेकिन सरकार अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे में अब कुछ अधिक नहीं बोल रही है जिसका ऐलान उसने जोरशोर से बजट में किया था. बीमा योजना में 10 करोड़ गरीब परिवारों के करीब 50 करोड़ लोगों को कवर करने की बात कही गई है. इसमें हर परिवार को 5 लाख रुपये सालाना के कवरेज का प्रावधान है लेकिन बीमा योजना का प्रीमियम और ज़मीन पर मूलभूत ढांचे की कमी को लेकर सवाल हैं.
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आयुष्मान भारत योजना के तहत बजट में घोषित और बीमा योजना के वादे को कई जानकारों और विपक्ष ने हवाई किला बताया और कहा कि बीमा योजना पर प्रीमियम का खर्च देश के कुल हेल्थ बजट से अधिक होगा. हालांकि नीति आयोग ने बजट के तुरंत बाद कहा था कि शुरुआत में बीमा योजना के लिए 12 हज़ार करोड़ की ही ज़रूरत होगी.
महत्वपूर्ण है कि अब नीति आयोग भी बीमा योजना से अधिक वैलनेस सेंटरों पर ज़ोर दे रहा है और बीमा योजना कब से लागू होगी इस पर कुछ साफ नहीं कह रहा है. गुरुवार को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और दूसरे महत्वपूर्ण सदस्य डॉ विनोद पॉल ने इस बारे में पत्रकारों के सवालों को टाल दिया. अमिताभ कांत कहते रहे कि बिना प्राथमिक स्वास्थ्य के बीमा योजना से कुछ नहीं होगा और डॉ पॉल ने सिर्फ इतना कहा कि योजना को जल्द ही लागू किया जाएगा और इस बारे में आपको (मीडिया) को जल्द ही बताया जाएगा.
स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकारों का भी कहना है कि सरकार अगर बीमा योजना के बजाय प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकारी अस्पतालों को दुरुस्त करने में ध्यान दे तो बेहतर होगा.
VIDEO : आधार नहीं तो इलाज नहीं
द थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क की सह संयोजक मालिनी आइसोला कहती हैं, "सरकार अब आखिरकार ये समझ रही है कि जिस बीमा योजना का उन्होंने ऐलान किया उसे लागू करना व्यवहारिक ही नहीं है. उन्होंने एक महत्वाकांक्षी योजना लॉन्च तो कर दी पर उसके बारे में पहले सोचा नहीं. वो इसे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज कह रहे हैं पर ये भी सच नहीं है क्योंकि इसमें 40 प्रतिशत जनता ही कवर होती है."
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने गुरुवार को कहा कि बीमा योजना से पहले प्राथमिक स्वास्थ्य को बेहतर करने की ज़रूरत है. देश के तमाम हिस्सों में स्वास्थ्य सेवा लचर है और दूरदराज़ के कई इलाकों में तो इसका नामोनिशान तक नहीं है. इस बीच प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के जंगला गांव में वैलनेस सेंटर का उद्घाटन करेंगे. सरकार की घोषित ताज़ा योजनाओं में बनाए जाने वाले वेलनेस सेंटरों में ये पहला वेलनेस सेंटर होगा.
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सरकार डेढ़ लाख हेल्थ और वैलनेस सेंटर बनाकर प्राथमिक स्वास्थ्य को दुरस्त करना चाहती है. ये वैलनेस सेंटर ज़िला अस्पतालों से जुड़े होंगे और दूरदराज के इलाकों में इनकी अहम भूमिका होगी.
ये लोगों को ज़रूरी सहूलियात मुहैया कराने के साथ ज़िला अस्पतालों पर दबाव कम करेंगे.
लेकिन सरकार अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे में अब कुछ अधिक नहीं बोल रही है जिसका ऐलान उसने जोरशोर से बजट में किया था. बीमा योजना में 10 करोड़ गरीब परिवारों के करीब 50 करोड़ लोगों को कवर करने की बात कही गई है. इसमें हर परिवार को 5 लाख रुपये सालाना के कवरेज का प्रावधान है लेकिन बीमा योजना का प्रीमियम और ज़मीन पर मूलभूत ढांचे की कमी को लेकर सवाल हैं.
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आयुष्मान भारत योजना के तहत बजट में घोषित और बीमा योजना के वादे को कई जानकारों और विपक्ष ने हवाई किला बताया और कहा कि बीमा योजना पर प्रीमियम का खर्च देश के कुल हेल्थ बजट से अधिक होगा. हालांकि नीति आयोग ने बजट के तुरंत बाद कहा था कि शुरुआत में बीमा योजना के लिए 12 हज़ार करोड़ की ही ज़रूरत होगी.
महत्वपूर्ण है कि अब नीति आयोग भी बीमा योजना से अधिक वैलनेस सेंटरों पर ज़ोर दे रहा है और बीमा योजना कब से लागू होगी इस पर कुछ साफ नहीं कह रहा है. गुरुवार को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और दूसरे महत्वपूर्ण सदस्य डॉ विनोद पॉल ने इस बारे में पत्रकारों के सवालों को टाल दिया. अमिताभ कांत कहते रहे कि बिना प्राथमिक स्वास्थ्य के बीमा योजना से कुछ नहीं होगा और डॉ पॉल ने सिर्फ इतना कहा कि योजना को जल्द ही लागू किया जाएगा और इस बारे में आपको (मीडिया) को जल्द ही बताया जाएगा.
स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकारों का भी कहना है कि सरकार अगर बीमा योजना के बजाय प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकारी अस्पतालों को दुरुस्त करने में ध्यान दे तो बेहतर होगा.
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द थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क की सह संयोजक मालिनी आइसोला कहती हैं, "सरकार अब आखिरकार ये समझ रही है कि जिस बीमा योजना का उन्होंने ऐलान किया उसे लागू करना व्यवहारिक ही नहीं है. उन्होंने एक महत्वाकांक्षी योजना लॉन्च तो कर दी पर उसके बारे में पहले सोचा नहीं. वो इसे यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज कह रहे हैं पर ये भी सच नहीं है क्योंकि इसमें 40 प्रतिशत जनता ही कवर होती है."
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