नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार से रूस एवं पांच मध्य एशियाई देशों- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान व उज्बेकिस्तान के दौरे पर जाएंगे। छह जुलाई से 13 जुलाई के दौरान वह रूस के उफा में ब्रिक्स एवं एससीओ शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे। मोदी का यह दौरा सोमवार को उज्बेकिस्तान से शुरू होगा।
मोदी ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर कहा, "भारत और उज्बेकिस्तान के बीच नजदीकी रणनीतिक साझेदारी है। दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए मैं राष्ट्रपति करीमोव से वार्ता करूंगा और इस दौरान दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण समझौतों को मूर्त रूप दिया जाएगा।" उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा, भाषा और संगीत उज्बेकिस्तान में काफी लोकप्रिय हैं।
पीएम ने कहा, "उज्बेक रेडियो ने 2012 में हिंदी प्रसारण के 50 वर्ष पूरे किए हैं। मैं वहां भाषा एवं संस्कृतिविदों के साथ ही हिंदी सीखने वाले छात्रों एवं भारतीय समुदाय से मिलूंगा। उज्बेकिस्तान में करीब तीन हजार भारतीय हैं।"
मोदी 7 और 8 जुलाई को कजाकिस्तान के दौरे पर होंगे। कजाकिस्तान मध्य एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वे यहां राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव और प्रधानमंत्री करीम मस्सीमोव से मिलेंगे।
मोदी ने कहा, "भारत और कजाकिस्तान के बीच ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में व्यापक साझेदारी है। दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी बढ़ने के बड़े अवसर हैं। दोनों देश कृषि के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाएंगे।"
6 से 13 जुलाई तक की इस यात्रा के दौरान मोदी रूस के ऊफा में ब्रिक्स और शंघाई कॉरपोरेशन आर्गनाइजेशन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सदस्य देश हैं। इन देशों से वार्ता के दौरान ऊर्जा सुरक्षा अहम मुद्दा रहेगा।
इसके बाद वह रूस के उफा में ब्रिक्स एवं एससीओ सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे। वे 10 से 13 जुलाई तक किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर होंगे। मास्को से 1300 किलोमीटर दूर बशर्कोतोस्तन गणराज्य के उफा में मोदी ब्रिक्स नेताओं चीनी राष्ट्रपति शी चिंनपिंग, ब्राजीली राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और दक्षिण अफ्रीकी प्रमुख जैकब जुमा के साथ बैठक करेंगे।
एससीओ के सम्मेलन के दौरान मोदी की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ बैठक हो सकती है, जिस पर सभी की निगाहें हैं। हालांकि अधिकारियों ने इस बारे में फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार किया है। इन पांच देशों के लिए भारत से संबंध मजबूत करने का मतलब रूस और चीन के सामने अपनी स्थिति मजबूत करना है।
मोदी ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर कहा, "भारत और उज्बेकिस्तान के बीच नजदीकी रणनीतिक साझेदारी है। दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए मैं राष्ट्रपति करीमोव से वार्ता करूंगा और इस दौरान दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण समझौतों को मूर्त रूप दिया जाएगा।" उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा, भाषा और संगीत उज्बेकिस्तान में काफी लोकप्रिय हैं।
On 6th July I will begin my visit to five Central Asian nations and Russia, where I will participate in the BRICS & SCO...
Posted by Narendra Modi on Saturday, July 4, 2015
पीएम ने कहा, "उज्बेक रेडियो ने 2012 में हिंदी प्रसारण के 50 वर्ष पूरे किए हैं। मैं वहां भाषा एवं संस्कृतिविदों के साथ ही हिंदी सीखने वाले छात्रों एवं भारतीय समुदाय से मिलूंगा। उज्बेकिस्तान में करीब तीन हजार भारतीय हैं।"
मोदी 7 और 8 जुलाई को कजाकिस्तान के दौरे पर होंगे। कजाकिस्तान मध्य एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वे यहां राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव और प्रधानमंत्री करीम मस्सीमोव से मिलेंगे।
मोदी ने कहा, "भारत और कजाकिस्तान के बीच ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में व्यापक साझेदारी है। दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी बढ़ने के बड़े अवसर हैं। दोनों देश कृषि के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाएंगे।"
6 से 13 जुलाई तक की इस यात्रा के दौरान मोदी रूस के ऊफा में ब्रिक्स और शंघाई कॉरपोरेशन आर्गनाइजेशन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सदस्य देश हैं। इन देशों से वार्ता के दौरान ऊर्जा सुरक्षा अहम मुद्दा रहेगा।
इसके बाद वह रूस के उफा में ब्रिक्स एवं एससीओ सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे। वे 10 से 13 जुलाई तक किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर होंगे। मास्को से 1300 किलोमीटर दूर बशर्कोतोस्तन गणराज्य के उफा में मोदी ब्रिक्स नेताओं चीनी राष्ट्रपति शी चिंनपिंग, ब्राजीली राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और दक्षिण अफ्रीकी प्रमुख जैकब जुमा के साथ बैठक करेंगे।
एससीओ के सम्मेलन के दौरान मोदी की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ बैठक हो सकती है, जिस पर सभी की निगाहें हैं। हालांकि अधिकारियों ने इस बारे में फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार किया है। इन पांच देशों के लिए भारत से संबंध मजबूत करने का मतलब रूस और चीन के सामने अपनी स्थिति मजबूत करना है।
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