नई शिक्षा नीति पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बीते अनेक वर्षों से हमारे शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं हुए थे. परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में उत्सुकता और कल्पनाशीलता को बढ़ावा देने के बजाए भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था. पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में आज का ये इवेंट बहुत महत्वपूर्ण है. इस कॉन्क्लेव से भारत के शिक्षा जगत को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के संदर्भ में आज का ये कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है. इस कार्यक्रम से भारत के शिक्षा जगत को नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी. जितनी जानकारी स्पष्ट होगी, उतनी ही आसानी से इसका क्रियान्वयन भी होगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का भेदभाव है, या किसी एक ओर झुकी हुई है. पीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति को अमल में लाने के लिए हम सभी को एकसाथ संकल्पबद्ध होकर काम करना है. हम उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां कोई व्यक्ति जीवन भर किसी एक प्रोफेशन में ही नहीं टिका रहेगा.
10 बड़ी बातें
- कुछ लोगों के मन में ये सवाल आना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा सुधार कागजों पर तो कर दिया गया, लेकिन इसे जमीन पर कैसे उतारा जाएगा. यानि अब सबकी निगाहें इसके क्रियान्वयन की तरफ है.
- आज गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है. वो कहते थे - "उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है." निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है.
- हमारे छात्रों में, हमारे युवाओं में क्रिटिकल थिंकिंग और इनोवेटिव थिंकिंग विकसित कैसे हो सकती है, जब तक हमारी शिक्षा में उत्साह, शिक्षा का दर्शन, उद्देश्य न हो.
- आज मुझे संतोष है कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बनाते समय, इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया. बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है. एक नया वैश्विक मानक भी तय हो रहा है.
- इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करे, ये भी किया जाना बहुत जरूरी था. स्कूली शिक्षा में 10+2 के स्वरूप से आगे बढ़कर अब 5+3+3+4 का स्वरूप देना, इसी दिशा में एक कदम है.
- हमें हमारे छात्रों को ग्लोबल सिटिजन तो बनाना है, इसका भी ध्यान रखना है कि वो इसके साथ अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें. जड़ से जग तक, मनुज से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक, सभी बिंदुओं का समावेश करते हुए, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप तय किया गया है.
- इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है. ये एक बहुत बड़ी वजह है, जिसकी वजह से जहां तक संभव हो, पांचवी कक्षा तक, बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है.
- अब कोशिश ये है कि बच्चों को सीखने के लिए खोजपरक, जांचपरक, बहस और विश्लेषण के तरीकों पर जोर दिया जाए. इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी और उनके क्लास में उनकी भागीदारी भी बढ़ेगी.
- हर विद्यार्थी को ये अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने रुचि के हिसाब से चले. वो अपनी सुविधा और ज़रूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को कर सके और अगर उसका मन करे, तो वो छोड़ भी सके.
- 21वीं सदी के भारत से पूरी दुनिया को बहुत अपेक्षाएं हैं. भारत का सामर्थ्य है कि कि वो टैलेंट और टेक्नॉलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है, हमारी इस जिम्मेदारी को भी हमारी शिक्षा नीति बताती है.