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मोदी और पुतिन भारत तथा पांच देशों के एक समूह यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईएईयू) के बीच एक फ्री ट्रेड जोन स्थापित करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा कर सकते हैं. इस समूह में रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, अर्मेनिया और बेलारूस हैं. सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था के स्थाई विकास के लिए 2015 में इसका गठन किया गया था. दोनों नेताओं की वार्ता में भारत तथा यूरेशियाई क्षेत्र के बीच आर्थिक संबंध को प्रोत्साहन देने वाले प्रस्ताव पर चर्चा की जा सकती है.
रक्षा क्षेत्र में, दोनों देशों के बीच रिश्ता पहले से ही खरीददार और विक्रेता से बदलकर 'सहयोगी' के रूप में परिवर्तित हो गया है. इस संदर्भ में भारत में एके-203 राइफलों की एक फैक्ट्री स्थापित की जा रही है. मोदी वार्ता से पहले यहां एक जहाज-निर्माण इकाई का दौरा करेंगे.
मोदी और पुतिन इससे पहले जून में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर मिले थे और सहयोग के नए क्षेत्रों के विस्तार पर सहमत हुए थे. इस साल के ईईएफ में मुख्य अतिथि मोदी कार्यक्रम को गुरुवार को संबोधित करेंगे.
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मोदी ने रवाना होने से पहले कहा कि रूस के फार ईस्ट रीजन (सुदूर पूर्वी क्षेत्र) का उनका दौरा दोनों देशों की विविधिता की इच्छा को बल देगा और हमारे मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देगा. मोदी फार ईस्टर्न रीजन जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. नई दिल्ली में एक बयान में उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच उनकी विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की मजबूत आधारशिला के आधार पर मजबूत संबंध हैं.
मोदी ने कहा, "दोनों देश रक्षा, नागरिक परमाणु ऊर्जा के रणनीतिक क्षेत्रों और अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में बड़े पैमाने पर सहयोग करते हैं. हमारे बीच मजबूत और बढ़ते व्यापारिक और निवेश संबंध हैं." प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारी मजबूत साझेदारी एक बहु-अक्षीय दुनिया को बढ़ावा देने की इच्छा से जोड़ती है और दोनों देश क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर इस दिशा में काफी करीबी से सहयोग कर रहे हैं. मैं अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन से अपनी द्विपक्षीय साझेदारी के साथ-साथ क्षेत्रीय तथा आपसी हितों के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करना चाहता हूं."
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ज्वेज्दा जहाज निर्माण परिसर के अपने दौरे के बारे में मोदी ने रूस के लिए रवाना होने से पहले ट्वीट्स के माध्यम से कहा, "मैं जहाज निर्माण क्षेत्र में रूस की अनुकरणीय क्षमताओं को समझने का महान अवसर पाऊंगा और इस क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं तलाश करूंगा." दौरे पर मोदी के ईईएफ बैठक में शामिल होने आए नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता करने की संभावना है.
ईईएफ का आयोजन रशियन फार ईस्टर्न के विकास को गति देने और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के विस्तार के उद्देश्य से हर वर्ष किया जाता है. ईईएफ के दौरान, 'रूस-भारत' वार्ता को फोरम के व्यावसायिक कार्यक्रम के हिस्से के रूप में योजनाबद्ध किया गया है, जिसमें दोनों देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे. इसके अलावा, भारत यहां देश की आर्थिक, औद्योगिक, पर्यटन और सांस्कृतिक क्षमता को पेश करने के लिए एक राष्ट्रीय रुख प्रस्तुत करेगा.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)