नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री को प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के दायरे में लाने के मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सहयोगियों में मतभेद सामने आ गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पाटी (राकांपा) जहां प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने का विरोध कर रही है वहीं द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) प्रधानमंत्री को दायरे में लाने के 'खिलाफ नहीं है'। राकांपा के प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने कहा कि उनकी पार्टी नहीं चाहती कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया जाए। त्रिपाठी ने शनिवार को कहा, "प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा बनाए रखनी होगी। वह देश के खुफिया एवं विदेशी मामलों से जुड़े कई गोपनीय मामलों को देखते हैं।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को विधेयक के दायरे में लाने से 'देश की प्रणाली कमजोर होगी।' त्रिपाठी ने कहा कि प्रधानमंत्री की जवाबदेही तय करने के लिए संसद में अविश्वास प्रस्ताव और जनहित याचिका सहित अन्य तंत्र मौजूद हैं। प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले पर पार्टी ने अपनी राय संयुक्त मसौदा समिति के सह अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को भेज दी है। डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने हालांकि आईएएनएन से कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, "हम इसके खिलाफ नहीं हैं।"
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