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This Article is From Feb 24, 2019

मोदी सरकार की 'प्रधानमंत्री किसान योजना' की राह में मुंह बाए खड़ी हैं ये चुनौतियां

लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत केंद्र की मोदी सरकार किसानों के खाते में 2000 रुपये की पहली किश्त देकर चुनावी अभियान को गति देगी.

मोदी सरकार की 'प्रधानमंत्री किसान योजना' की राह में मुंह बाए खड़ी हैं ये चुनौतियां
पीएम किसान योजना की शुरुआत आज करेंगे पीएम मोदी
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत केंद्र की मोदी सरकार किसानों के खाते में 2000 रुपये की पहली किश्त देकर चुनावी अभियान को गति देगी. मगर प्रधानमंत्री किसान योजना के सिलसिले में मोदी सरकार की राह में कई चुनौतियां हैं, जो मुंह बाए खड़ी हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री किसान योजना (PM Kisan Yojna) की शुरुआत आज यानी रविवार 24 फरवरी को गोरखपुर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस योजना के तहत दो हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों को पहली किश्त के दो हजार रुपये दिए जाएंगे. किसानों को साल में तीन किश्त के जरिए 6 हजार रुपये दिया जाएंगे. ये राशि बैंकों से सीधे उनके खातों में पहुंचाई जाएगी. मगर मोदी सरकार की इस योजना को धरातल पर पूरी तरह से लागू करने के लिए कई चुनौतियों को पार पाना होगा. 

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दरअसल, फरवरी में बजट सत्र के दौरान सरकार ने 12 करोड़ गरीब किसानों को साल में 6000 रुपये देने का ऐलान किया था, जिसका प्रस्तावित खर्च 75 हजार करोड़ है. मगर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रविवार को उत्तर प्रदेश के एक मेगा इवेंट के दौरान पहली किश्त के रूप में लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत राशि वितरित की जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि जब पहली किश्त में महज 1.7 करोड़ किसानों को ही इसका फायदा मिलेगा, तो सरकार 12 करोड़ किसानों के लक्ष्य को कैसे पूरा करेगी, क्योंकि मार्च के पहले सप्ताह में आचार संहिता के लागू होने की भी उम्मीद है.  

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NDTV को मिले दस्तावेजों और उसकी समीक्षा के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जिस अनुपात में लाभार्थियों के सबमिशन आए हैं, उसमें से रिजेक्शन की दर काफी अधिक है. यानी किसानों की सबमिशन एंट्री में काफी रिजेक्शन देखने को मिले हैं और यह रिजेक्शन डाटा की क्वालिटी पर भी सवाल उठाते हैं. 

अब तक राज्य सरकारों ने सरकार के सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) में 3.2 करोड़ प्रविष्टियां जमा की हैं. इनमें से 55 लाख प्रविष्टियां पेंडिंग हैं. अब बचे 2.5 करोड़, जिनमें से 1.7 करोड़ प्रविष्टियों को पास कर दिया गया है और 84 लाख को रिजेक्ट किया गया है. इस तरह से रिजेक्शन रेट 33 फीसदी है. यानी कुल मिलाकर देखा जाए तो पहली किश्त में प्रधानमंत्री किसान योजना का फायदा 1.7 करोड़ किसानों को मिलेगा और जितनी भी किसानों की प्रविष्टियां आई हैं, उनमें से 33 फीसदी को रिजेक्ट कर दिया गया है. 

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एनडीटीवी को जो आंकड़े मिले हैं, उस पर गौर किया जाए तो ऐसा लगता है कि बीजेपी शासित राज्यों की प्रविष्टियां ज्यादा आई हैं. इसे लेकर भी राजनीति हो सकती है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल सकता है. लाभार्थियों की पहचान करने की प्रक्रिया को लेकर भी राजनीति हो सकती है. एनडीटीवी ने पाया है कि पहली किश्त में शामिल होने वाले लाभार्थियों की बात करें तो कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा भेजे गए सिर्फ 2 फीसदी सबमिशन की तुलना में बीजेपी शासित राज्यों ने महत्वपूर्ण संख्या में 67 फीसदी सबमिशन भेजे हैं. यानी लाभार्थियों की प्रविष्टियों में बीजेपी शासित राज्यों के 67 फीसदी लाभार्थी हैं, वहीं कांग्रेस शासित राज्यों के महज 2 फीसदी.  

यह योजना आज से लागू होगा और अब तक के सबमिशन में यूपी का हिस्सा 30 प्रतिशत हिस्सा है. जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों ने कुल सबमिशन का क्रमशः 0.03 प्रतिशत, 0.01 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत हिस्सा दर्ज कराया है. वहीं, एक अन्य गैर बीजेपी शासित राज्य पश्चिम बंगाल ने इस वक्त की प्रविष्टियों के लिए किसी भी लाभार्थी की पहचान नहीं की है. 

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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस योजना के ऐलान के बाद अब मोदी सरकार के जेहन चुनाव आयोग के आदर्श चुनाव संहिता का भी सवाल भी होगा. मोदी सरकार आचार संहिता के अनुसार ही अपनी इस नई नवेली योजना को लागू करना होगा. 

सरकार ने पहली किश्त के रुपये का हस्तांतरण 31 मार्च तक सभी 12 करोड़ किसानों को करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके तहत पहली किश्त में 2 हजार रुपये ट्रांसफर किए जाते. मगर मार्च के पहले सप्ताह में आचार संहिता लागू होने की उम्मीद है. ऐसे में सरकार की इस योजना पर चुनाव आयोग का डंडा चल सकता है और 12 करोड़ का आंकड़ा सरकार छूने में असफल रह सकती है. क्योंकि आचार संहिता आम तौर पर केवल पहले से चल रही योजनाओं के फंड के हस्तांतरण की ही अनुमति देती है और नई योजनाओं के लिए किसी तरह के पैसे और फंड के ट्रांसफर की अनुमति नहीं देती है. 

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हालांकि, फरवरी में बजट में घोषित किए जाने के दौरान प्रधानमंत्री किसान योजना को एक दिसंबर 2018 से शुरू होने वाली पूर्वव्यापी योजना के रूप में पेश किया गया था, यही वजह है कि मोदी सरकार यह तर्क दे सकती है कि यह पहले से चली आ रही योजना है और इसका चुनाव से कोई लेना देना नहीं है. किसानों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए सरकार तर्क के रूप में इसका ही हवाला दे सकती है. बता दें कि एक दिसंबर, 2018 से शुरू प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत ही सरकार ने किसानों के खाते में डायरेक्ट पैसा ट्रांसफर करने का फैसला लिया है. 

NDTV ने तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों (CEC) से बात की, जिन्होंने सर्वसम्मति से कहा कि भुगतान केवल उन लाभार्थियों को किया जा सकता है, जिनकी पहचान अब तक की जा चुकी है और जो आदर्श आचार संहिता के लागू होने से पहले पहले नामांकित हैं. अप्रैल 2009 और जुलाई 2010 के बीच सीईसी के रूप में सेवा देने वाले नवीन चावला ने कहा कि यदि लाभार्थियों की पहचान आदर्श आचार संहिता से पहले हो गई है, तो वे (भुगतान) प्राप्त कर सकते हैं. आदर्श आचार संहिता के बाद किसी नए लाभार्थी की पहचान नहीं की जा सकती है. एक अन्य पूर्व सीईसी नसीम जैदी ने कहा कि अगर लाभार्थियों की पहचान नहीं की गई है, तो आयोग की अनुमति के बिना भुगतान नहीं किया जा सकता है. 

वहीं, कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एनडीटीवी से कहा कि अगर ऐसा कोई मुद्दा उठता है तो सरकार इसका समाधान निकालेगी.  उन्होंने कहा कि 'जब एक बार कोई योजना शुरू हो जाती है और यह एक चालू योजना बन जाती है तो ऐसे में मैं कोई चुनौती नहीं देखता. लेकिन अगर चुनाव आयोग जैसी कुछ तकनीकी निर्णय लेते हैं ... अगर फैसला देंगे कि आप ऐसा नहीं कर सकते, नए लाभार्थियों को नहीं जोड़ सकते, तो हम इससे निपटेंगे'.

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