भीमा-कोरेगांव हिंसा: वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे प्रशांत भूषण

भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मंगलवार की सुबह मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद औऱ रांची में एक साथ छपेमारी कर घन्टों तलाशी के बाद 5 लोगों को गिरफ्तार किया.

भीमा-कोरेगांव हिंसा: वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे प्रशांत भूषण

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मंगलवार की सुबह मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद औऱ रांची में एक साथ छपेमारी कर घन्टों तलाशी के बाद 5 लोगों को गिरफ्तार किया. मगर अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने वाला है. सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के माओवादियों से लिंक होने पर गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करेंगे. 

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भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में हुई गिरफ्तारियों को चुनौती देने वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट में दायार होगी. पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है. जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं. रांची से फादर स्टेन स्वामी , हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी भी हुई है.

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इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, ‘फासीवादी फन अब खुल कर सामने आ गए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है. वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स के पीछे पड़ रहे हैं. वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं.

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महाराष्ट्र पुलिस ने कई राज्यों में वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों में आज छापा मारा और माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में उनमें से कम से कम पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, इस कार्रवाई का मानवाधिकार के पैरोकारों ने एक सुर में विरोध किया है.  पिछले साल 31 दिसंबर को एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव - भीमा गांव में दलितों और उच्च जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा की घटना की जांच के तहत ये छापे मारे गए हैं. सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि बीते कुछ महीनों में दो पत्र मिले हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की माओवादियों की साजिश का पता चलता है. छापेमारी की एक वजह यह भी थी.

पुलिस की इस कार्रवाई पर प्रसिद्ध लेखिका अरूंधती रॉय ने कहा, ‘ये गिरफ्तारियां उस सरकार के बारे में खतरनाक संकेत देती हैं जिसे अपना जनादेश खोने का डर है, और दहशत में आ रही है. बेतुके आरोपों को लेकर वकील, कवि, लेखक, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जा रहा है ...हमें साफ - साफ बताइए कि भारत किधर जा रहा है.’ 

गौरतलब है कि कोरेगांव - भीमा, दलित इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. वहां करीब 200 साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी, जिसमें पेशवा शासकों को एक जनवरी 1818 को ब्रिटिश सेना ने हराया था. अंग्रेजों की सेना में काफी संख्या में दलित सैनिक भी शामिल थे. इस लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के लिए हर साल पुणे में हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और कोरेगांव भीमा से एक युद्ध स्मारक तक मार्च करते हैं. 

VIDEO: प्राइम टाइम इंट्रो: भीमा कोरेगांव केस में 5 गिरफ्तारियां


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