उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि कानून के तहत सभी को सेवा की गारंटी मिलनी चाहिए.
नई दिल्ली:
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कानून के तहत लोगों को सेवा प्रदान करने की गारंटी होनी चाहिए. नायडू रविवार को दिल्ली में एम रामचंद्रन द्वारा लिखित पुस्तक 'द मेवरिक्स ऑफ मसूरी' का विमोचन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह किताब सामान्य पाठक को भारतीय प्रशासनिक सेवा या नौकरशाही के कामकाज करने के तरीकों से और भी बेहतर ढंग से अवगत कराने का अवसर प्रदान करती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक में पेशेवर दक्षता एवं कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ शासन में सुधार सुनिश्चित करने को लेकर लेखक द्वारा की गई कड़ी मेहनत की भी झलक मिलती है. उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को सरकार की नीतियां लागू करने में अनगिनत जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'अधिकतम शासन एवं न्यूनतम सरकार' सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सेवाओं से जुड़े कर्मियों को अभिनव रूप से कार्य करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि इसे 'स्टील फ्रेम' के रूप में वर्णित किया गया है, जो समाज को एकजुट रखता है, क्योंकि इसे देश के कानूनों का एक उद्देश्यपरक कार्यान्वयनकर्ता माना जाता है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में उच्च सिविल सेवा से जुड़े कर्मी राष्ट्र निर्माण में सर्वाधिक योगदान देने वालों में से एक रहे हैं.
VIDEO : आजाद भारत में जन्मे पहले उप राष्ट्रपति
देश में पिछली तिमाही के दौरान जीडीपी वृद्धि दर कम रहने के कारण का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने एक ऐसे कॉलेज का उदाहरण दिया, जो अच्छे परिणाम पाने के लिए कदाचार में लिप्त रहता था. जब एक सख्त प्रिंसिपल को कॉलेज में नियुक्त किया गया तो उन्होंने सभी तरह के कदाचार बंद कर दिए और छात्र परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण हो गए. इसके परिणामस्वरूप छात्रों, शिक्षकों एवं प्रबंधन ने प्रिंसिपल को दोषी ठहराया है.
(इनपुट आईएएनएस से)
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह किताब सामान्य पाठक को भारतीय प्रशासनिक सेवा या नौकरशाही के कामकाज करने के तरीकों से और भी बेहतर ढंग से अवगत कराने का अवसर प्रदान करती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक में पेशेवर दक्षता एवं कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ शासन में सुधार सुनिश्चित करने को लेकर लेखक द्वारा की गई कड़ी मेहनत की भी झलक मिलती है. उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को सरकार की नीतियां लागू करने में अनगिनत जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
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उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'अधिकतम शासन एवं न्यूनतम सरकार' सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सेवाओं से जुड़े कर्मियों को अभिनव रूप से कार्य करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि इसे 'स्टील फ्रेम' के रूप में वर्णित किया गया है, जो समाज को एकजुट रखता है, क्योंकि इसे देश के कानूनों का एक उद्देश्यपरक कार्यान्वयनकर्ता माना जाता है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में उच्च सिविल सेवा से जुड़े कर्मी राष्ट्र निर्माण में सर्वाधिक योगदान देने वालों में से एक रहे हैं.
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देश में पिछली तिमाही के दौरान जीडीपी वृद्धि दर कम रहने के कारण का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने एक ऐसे कॉलेज का उदाहरण दिया, जो अच्छे परिणाम पाने के लिए कदाचार में लिप्त रहता था. जब एक सख्त प्रिंसिपल को कॉलेज में नियुक्त किया गया तो उन्होंने सभी तरह के कदाचार बंद कर दिए और छात्र परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण हो गए. इसके परिणामस्वरूप छात्रों, शिक्षकों एवं प्रबंधन ने प्रिंसिपल को दोषी ठहराया है.
(इनपुट आईएएनएस से)
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