यह ख़बर 03 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

जमीनी हक की लड़ाई के लिए 50,000 लोगों ने किया दिल्ली कूच

खास बातें

  • ग्वालियर में अपनी जमीन के हक की लड़ाई लेकर कम से कम 50000 लोग ग्वालियर से दिल्ली के लिए निकले हैं। केंद्र सरकार के दो मंत्रियों ने इन्हें ग्वालियर जाकर समझाने की कोशिश की लेकिन वे अपने आंदोलन पर कायम हैं।
दिल्ली:

ग्वालियर में अपनी जमीन के हक की लड़ाई लेकर कम से कम 50000 लोग ग्वालियर से दिल्ली के लिए निकले हैं।  केंद्र सरकार के दो मंत्रियों ने इन्हें ग्वालियर जाकर समझाने की कोशिश की लेकिन वे अपने आंदोलन पर कायम हैं।

सरकार को अंदाज़ा है कि उसके लिए यह मार्च एक नई मुसीबत बन सकता है इसलिए ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ यहां पहुंचे लेकिन जन सत्याग्रहियों को मनाने में नाकाम रहे।

सत्याग्रहियों की मांग है कि छह महीने में भारत सरकार राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति तैयार करे, भूमिहीनों को ज़मीन के अधिकार की गारंटी मिले और हर गरीब को आवास की सुरक्षा की गारंटी मिले।

ग्वालियर पहुंचे ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार अगले छह महीने के अंदर राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की कोशिश करेगी और भूमिहीनों को ज़मीन का हक दिलाने के लिए केन्द्र राज्य सरकारों को तैयार करने की कोशिश करेगी लेकिन सत्याग्रही इतने से आश्वासन से अपना दिल्ली मार्च वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुए।

एनडीटीवी से बातचीत में सत्याग्रहियों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाने वाले एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा कि जयराम जो आश्वासन दे रहे हैं वह नाकाफी है और सरकार को इन आश्वासनों को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा जो सत्याग्रहियों को मंज़ूर हो।

अब जयराम ने जन सत्याग्रहियों को 11 अक्टूबर को दिल्ली बुलाया है एक नए दौर की बातचीत के लिए लेकिन सत्याग्रही सरकार पर दबाव बनाए रखना चाहते हैं इसलिए बातचीत का रास्ता भी खुला है और 350 किलोमीटर का दिल्ली मार्च भी तय है।

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आज से पांच साल पहले 25 हजार भूमिहीन और गरीब लोगों ने ज़मीन की मांग को लेकर इसी इलाके से होकर दिल्ली पहुंचे थे। उस दौरान सरकार ने उनकी कुछ मांग मानी ज़रूर लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया। इस बार तैयारी अपनी मांग मनवाने के लिए सरकार पर नए सिरे से दबाव और बढ़ाने की है।