विज्ञापन
This Article is From Mar 25, 2021

'हाईकोर्ट में लंबित मामले कंट्रोल से बाहर', CJI बोले- एडहॉक जज की हो नियुक्ति

सुप्रीम कोर्ट NGO लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लंबित मामलों के निपटारे के लिए अतिरिक्त जजों की नियु्क्ति की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों यानी हाईकोर्ट्स से इस एडहॉक जज नियुक्ति के प्रावधान पर अपने सुझाव देने को कहा है.

'हाईकोर्ट में लंबित मामले कंट्रोल से बाहर', CJI बोले- एडहॉक जज की हो नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट NGO लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लंबित मामलों के निपटारे के लिए अतिरिक्त जजों की नियु्क्ति की मांग की गई है.
नई दिल्ली:

देश के प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice of India) जस्टिस एस ए बोबडे (Justice SA Bobde) ने हाई कोर्ट में लंबित पड़े मुकदमों पर चिंता जताई है और कहा है कि इसके निपटारे के लिए एडहॉक जज की नियुक्ति की व्यवस्था होनी चाहिए. CJI बोबडे ने कहा कि हम तो लंबित मामलों को नियंत्रित कर सकते हैं लेकिन हाई कोर्ट में लंबित मामले कंट्रोल के बाहर हैं. उन्होंने कहा कि 15-20 साल पुराने मामलों का जल्दी से निपटारा किया जाना चहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि हम मामले में गाइडलाइन बनाना चाहते हैं, अगर कोई मामला 8 साल से ज़्यादा समय से लंबित है, तो उसकी सुनवाई के लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा एडहॉक जज की नियुक्ति की जानी चाहिए. ऐसी नियुक्ति को सबसे छोटी मानी जाएगी और इससे किसी की भी वरिष्ठता को खतरा नहीं होगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "एडहॉक जज याचिकाकर्ता लोक प्रहरी या सुप्रीम कोर्ट का सुझाव नहीं है बल्कि यह एक संवैधानिक प्रावधान है और इस प्रावधान का उपयोग नहीं किया जा रहा है, जिसे हम करेंगे."

देश का अगला चीफ जस्टिस कौन? केंद्र ने चिट्ठी लिखकर CJI बोबडे से मांगी सिफारिश : सूत्र

मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तरफ से कहा गया कि हम एडहॉक जजों की नियुक्ति का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं. हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया कि साल 2016 में एडहॉक जजों के 6 नामों की सिफारिश की गई थी लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकल सका था.

सुप्रीम कोर्ट NGO लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लंबित मामलों के निपटारे के लिए अतिरिक्त जजों की नियु्क्ति की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों यानी हाईकोर्ट्स से इस एडहॉक जज नियुक्ति के प्रावधान पर अपने सुझाव देने को कहा है. संविधान के अनुच्छेद 224 a के तहत ये प्रावधान 1963 में ही किया गया था लेकिन इस पर आज तक अमल नहीं हो सका.

सेना में महिला अफसरों की बड़ी जीत, SC ने कहा - स्थायी कमीशन के लिए मेडिकल फिटनेस मापदंड मनमाना

पहले भी इस पर अमल को लेकर केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट्स से सुझाव मांगे थे. तब भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ही सुझाव भेज थे. अब भी सुप्रीम कोर्ट की पहल पर इलाहाबाद और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ही सुझाव भेजने की हामी भरी है. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी. इससे पहले सभी पक्षकारों को अपने जवाब दाखिल करने हैं. कोर्ट ने कहा कि सभी के सुझाव मिलने के बाद हम एडहॉक जजों की नियुक्ति का फैसला लेंगे.

कोर्ट ने संविधान संशोधन से किए गए इस प्रावधान पर जोर दिया कि एडहॉक जज के रूप में हाईकोर्ट से रिटायर्ड जज ही नियुक्त होंगे. ये सिर्फ लंबित मामलों का निपटारा करेंगे. उनकी नियुक्ति का उनके या किसी अन्य जज के वरिष्ठता क्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com