Pending Cases In High Courts
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देश की अदालतों में 4.70 करोड़ मुकदमे लंबित, निचली अदालतों में बेहिसाब मामले
- Friday March 25, 2022
- Reported by: प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया
सुप्रीम कोर्ट में ही 70,154 मुकदमे लंबित है. देश की 25 हाईकोर्ट में भी 58 लाख 94 हजार 60 केस अटके हुए हैं. इन लंबित मुकदमों की संख्या दो मार्च तक की है.
- ndtv.in
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'हाईकोर्ट में लंबित मामले कंट्रोल से बाहर', CJI बोले- एडहॉक जज की हो नियुक्ति
- Thursday March 25, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
सुप्रीम कोर्ट NGO लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लंबित मामलों के निपटारे के लिए अतिरिक्त जजों की नियु्क्ति की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों यानी हाईकोर्ट्स से इस एडहॉक जज नियुक्ति के प्रावधान पर अपने सुझाव देने को कहा है.
- ndtv.in
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कोर्ट में मुकदमें देरी से खत्म होने में पर बंबई होईकोर्ट ने कहा, ऐसा लगता है अदालतों में टाइम मशीन...
- Saturday September 7, 2019
- भाषा
किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मामले में अदालत ने शुक्रवार को कहा कि यह मुकदमा 1986 में शुरू हुआ था. इसके बाद कई अपील, आवेदन और याचिकाएं दायर हुईं लेकिन मामला फिर भी नहीं सुलझा, जबकि वास्तविक भू-स्वामी और किरायेदार अब जीवित नहीं रहे हैं. न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने कहा कि कई मामलों में दोनों पक्षों के वादियों की मृत्यु हो जाती है लेकिन मुकदमेबाजी बाद की पीढ़ियों द्वारा की जाती है.
- ndtv.in
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देश की अदालतों में 4.70 करोड़ मुकदमे लंबित, निचली अदालतों में बेहिसाब मामले
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सुप्रीम कोर्ट में ही 70,154 मुकदमे लंबित है. देश की 25 हाईकोर्ट में भी 58 लाख 94 हजार 60 केस अटके हुए हैं. इन लंबित मुकदमों की संख्या दो मार्च तक की है.
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'हाईकोर्ट में लंबित मामले कंट्रोल से बाहर', CJI बोले- एडहॉक जज की हो नियुक्ति
- Thursday March 25, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
सुप्रीम कोर्ट NGO लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें लंबित मामलों के निपटारे के लिए अतिरिक्त जजों की नियु्क्ति की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों यानी हाईकोर्ट्स से इस एडहॉक जज नियुक्ति के प्रावधान पर अपने सुझाव देने को कहा है.
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किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मामले में अदालत ने शुक्रवार को कहा कि यह मुकदमा 1986 में शुरू हुआ था. इसके बाद कई अपील, आवेदन और याचिकाएं दायर हुईं लेकिन मामला फिर भी नहीं सुलझा, जबकि वास्तविक भू-स्वामी और किरायेदार अब जीवित नहीं रहे हैं. न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने कहा कि कई मामलों में दोनों पक्षों के वादियों की मृत्यु हो जाती है लेकिन मुकदमेबाजी बाद की पीढ़ियों द्वारा की जाती है.
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