महाराष्ट्र में हार्ट अटैक (Heart Attack) और इससे अचानक मौतों में बढ़ोतरी कई अस्पताल देख रहे हैं. डॉक्टर बताते हैं, सबसे बड़ा कारण है ‘कोविड फोबिया' है. लोग कोविड टेस्ट से बचने के लिए अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं, सीधे मृत अस्पताल लाए जा रहे हैं या फिर लाते ही उनकी मौत हो रही है. वहीं कुछ अस्पतालों में दिल के 90% फ़ॉलोअप मरीज़ डॉक्टर के सम्पर्क में नहीं. हार्ट अटैक और इससे मौतें बीते दो महीनों में बढ़ी हैं, सरकारी आंकड़ा आने में वक़्त लगेगा, लेकिन कई बड़े अस्पताल, हार्ट अटैक से अचानक हुई मौतों में 15-20% बढ़ोतरी बता रहे हैं. कारण, कोविड फोबिया के कारण अस्पताल पहुंचने में देरी और सांस की तकलीफ़ को कोविड से जोड़कर बिना डॉक्टर के सलाह के ग़लत दवा का सेवन.
मसीना हार्ट इंस्टिट्यूट, एसएल रहेजा और के.जे सोमैया सूपरस्पेशीऐलिटी से जुड़े कार्डियोलोजिस्ट डॉ नितिन बोटे बताते हैं की बीते समय की तुलना में कुछ महीनों से हार्ट अटैक से अचानक मौत के मामले 10-20% बढ़े हैं.
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डॉ नितिन बोटे ने एनडीटीवी को बताया, ‘'10-20% बढ़ोतरी हुई है मॉर्टैलिटी में. जिन मरीज़ को चेस्ट पेन हुआ, अगर वो तुरंत अस्पताल गया तो तुरंत उसे इलाज मिला तब जान बच सकती है लेकिन अगर वो देरी से आ रहा है, 12 घंटे बाद अगर पहुंचता है तो उसमें कॉम्प्लिकेशंज़, दिखते हैं, और अचानक मौत हो जाती है. ये बढ़ोतरी हुई है. जो भी मरीज़ आए गंभीर हालत में आए. तो उनको बचाने का ज़्यादा चांस डाक्टरों के पास नहीं होता.''
फोर्टिस हीरनंदानी अस्पताल वाशी के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ ब्रजेश कुंवर ने एक महीने में क़रीब 15 मरीज़ ऐसे देखे हैं जो हार्ट अटैक से मृत अस्पताल लाए गए,डॉक्टर के 90% हार्ट के मरीज़ फ़ॉलोअप के लिए नहीं आ रहे.
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डॉ कुंवर ने एनडीटीवी को बताया, ‘'10-15 मरीज़ ऐसे थे जो या तो हमारे पास ब्रॉट डेड आए या देरी से आए की उनकी सही ट्रीटमेंट हो नहीं पायी और मौत हो गई. अभी तो हम सिर्फ़ 10% फ़ॉलो अप पेशेंट देख रहे हैं पता नहीं 90% मरीज़ कहां हैं, उनके साथ क्या हुआ हमें पता नहीं, महामारी चल रही है, शायद बहुत लोग शहर में नहीं हैं, अगर आप मुझसे पूछेंगे तो 90% मेरे मरीज़ मेरे फ़ॉलोअप में नहीं हैं. मुझे पता नहीं वो कहां हैं और उनके साथ क्या हुआ. ये सही है कोविड से फ़ॉलोअप बहुत बुरी तरह से अफ़ेक्ट हुआ है.''
मुंबई के ग्लोबल अस्पताल के हृदयरोग के वरिष्ठ डॉक्टर, डॉ प्रवीण कुलकर्णी ने दो महीनों में क़रीब 10 हार्ट मरीज़ खोए हैं, डाक्टर बताते हैं कि अस्पतालों में भर्ती होने से पहले कोविड के टेस्ट से घबराए लोग अपने दिल के सिम्प्टम छिपा रहे हैं.
डॉ. कुलकर्णी का कहना है, ‘'मेरे निजी अनुभव में ही पिछले 2-3 महीनों में मैंने 8-10 दिल के मरीज़ खो दिए, जो डर से अस्पताल नहीं आए. इसी महीने 2-3 मरीज़ ऐसे आए हैं की अस्पताल में आने के बावजूद हम कुछ कर नहीं पाए क्योंकि उनकी तकलीफ़ें अड्वान्स स्टेज पर थीं.''
कोरोना टेस्ट का डर
फोर्टिस हीरनंदानी अस्पताल के डॉ कुंवर बताते हैं, ‘'जितने हॉस्पिटल हैं उसमें एक प्रोटकॉल बना है कि भर्ती से पहले मरीज़ों का कोविड ऐंटिजेन टेस्ट होगा इससे पहले की उनपर कोविड-नॉन कोविड का लेबल लगे. तो ये सारे टेस्ट हो रहे हैं, तो लोग डरे हैं, लोग चाहते नहीं की उनको लेबल किया जाए या इंवेस्टिगेट भी किया जाए की कोविड है की नहीं. इसलिए लोग अपने लक्षण छिपा रहे हैं इसलिए मिस्ड हार्ट अटैक, अंडर ट्रीटेड हार्ट अटैक, साइलेंट हार्ट अटैक काफ़ी बढ़ गए हैं.''
डॉक्टर बताते हैं की सीने में दर्द की तकलीफ़ का इंतेज़ार ना करें, कोविड काल में हल्की सी सांस की दिक़्क़त भी अहम संकेत है. फेंफड़ों के बाद सबसे ज़्यादा दिल पर वार करने वाला कोरोना बिना लक्षण दिखाए भी घातक बनता है. हार्ट अटैक के युवा मरीज़ों की बढ़ती संख्या भी डॉक्टरों की चिंता बढ़ा रही है.
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