प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
दूसरे धर्म में शादी करने वाली पारसी महिला को माता- पिता की मृत्यु पर प्रार्थना के लिए टॉवर ऑफ साइलेंस जाने की इजाजत दी जाएगी. वलसाड के पारसी अंजुमन ट्रस्ट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से यह बात कही गई है. ट्रस्ट ने फैसला किया है कि जब भी महिला के माता-पिता के अंतिम संस्कार की रस्में होंगी, महिला व उसकी बहन को टॉवर ऑफ साइलेंस इजाजत होगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वलसाड पारसी अंजुमन ट्रस्ट से कहा था कि वह कठोर न बने और पारसी धर्म से बाहर शादी करने वाली पारसी महिला को पिता की मृत्यु पर प्रार्थना के लिए टॉवर ऑफ साइलेंस जाने की इजाजत देने पर विचार करे. मामले में अगली सुनवाई 17 जनवरी को.
यह भी पढ़ें : पारसी अंजुमन ट्रस्ट कठोर न बने, दूसरे धर्म में विवाहित महिला को टावर ऑफ साइलेंस जाने दे : सुप्रीम कोर्ट
सीजेआई दीपक मिश्रा ने ट्रस्ट से कहा था कि कठोरता, धर्म के सिद्धांत को समझने के लिए हमेशा सही नहीं होती. कोर्ट ने कहा था कि महिला प्रार्थना के लिए जाना चाहती है. इसके लिए याचिका क्यों? ट्रस्ट से कोर्ट ने कहा कि वह इस पर अगले हफ्ते अपना रुख कोर्ट को बताए. अगर ये मुद्दा सुलझ जाता है तो एकेडमिक मामले में क्यों जाना हो?
VIDEO : भारत में पारसी समुदाय
दरअसल गुलरख गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि पारसी महिला अपने धर्म का अधिकार खो देती है जब वह किसी दूसरे धर्म के पुरुष से स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करती है. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि अब आप पारसी नहीं रहीं भले ही आपने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वलसाड पारसी अंजुमन ट्रस्ट से कहा था कि वह कठोर न बने और पारसी धर्म से बाहर शादी करने वाली पारसी महिला को पिता की मृत्यु पर प्रार्थना के लिए टॉवर ऑफ साइलेंस जाने की इजाजत देने पर विचार करे. मामले में अगली सुनवाई 17 जनवरी को.
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सीजेआई दीपक मिश्रा ने ट्रस्ट से कहा था कि कठोरता, धर्म के सिद्धांत को समझने के लिए हमेशा सही नहीं होती. कोर्ट ने कहा था कि महिला प्रार्थना के लिए जाना चाहती है. इसके लिए याचिका क्यों? ट्रस्ट से कोर्ट ने कहा कि वह इस पर अगले हफ्ते अपना रुख कोर्ट को बताए. अगर ये मुद्दा सुलझ जाता है तो एकेडमिक मामले में क्यों जाना हो?
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दरअसल गुलरख गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि पारसी महिला अपने धर्म का अधिकार खो देती है जब वह किसी दूसरे धर्म के पुरुष से स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करती है. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि अब आप पारसी नहीं रहीं भले ही आपने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की है.
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