पार्श्वनाथ मामला : राठौड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो सदस्यीय समिति का गठन किया

पार्श्वनाथ मामला : राठौड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो सदस्यीय समिति का गठन किया

केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के मामले में दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया. यह मामला पार्श्वनाथ बिल्डर्स से जुड़ा हुआ है. ये कमेटी जगह का मुआयना कर कोर्ट को बताएगी कि क्या वहां सड़क और पार्किंग की सुविधा है या नहीं, बिल्डर ने वायदे के मुताबिक व्यवस्था की है या नहीं. दो हफ्ते में कमेटी कोर्ट को रिपोर्ट देगी.

कोर्ट ने साफ किया कि फ्लैट मिलने में हुई देरी को लेकर राठौड़ को मुआवजा दिया जाए या नहीं, इस पर बाद में विचार करेंगे. मामले 29 नवंबर को अगली सुनवाई होगी. राठौर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि जो फ्लैट दिया गया वहां पार्किंग नहीं है और सड़क भी सही नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने 21 अक्तूबर को पार्शवनाथ डेवलपर्स को निर्देश दिया था कि वह सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को दो दिन के भीतर गुड़गांव परियोजना में फ्लैट का कब्जा सौंपे. पीठ ने यह भी कहा था कि राठौड़ को अब इस डेवलेपर्स को कोई भी अतिरिक्त पैसे का भुगतान नहीं करना चाहिए.

अदालत ने कहा कि फ्लैट का कब्जा देने में हुए विलंब की वजह से राठौड़ को दिए जाने वाले मुआवजे के बारे में बाद में विचार किया जाएगा. इस मामले की सुनवाई के दौरान पार्श्वनाथ डेवलेपर्स के वकील ने कहा कि फ्लैट तैयार है और वह इसका कब्जा दे सकता है. राठौड़ ने पार्श्वनाथ की परियोजना एक्जोटिका में 2006 में फ्लैट बुक कराया था और इसके लिए 70 लाख रुपये का भुगतान भी किया था.

इस फर्म को 2008-09 में फ्लैट का कब्जा देना था. इस साल जनवरी में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग ने बिल्डर को निर्देश दिया था कि राठौर को मूल धन ब्याज सहित वापस किया जाए और उन्हें मुआवजा दिया जाए. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने बड़े-बड़े दावे करने के लिए इस बिल्डर को आड़े हाथ लिया था और कहा था कि आवासीय परियोजना के पूरा होने में अत्यधिक विलंब की वजह से उसके वायदे पूरे नहीं हुए.


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