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This Article is From Mar 21, 2018

पार्सल बम के निशाने पर है सामाजिक संस्था, आरोपी तक पहुंचने के लिए पुलिस ने बनवाया स्केच

खास बात है कि जिस संस्था को निशाना बनाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमलों में मारे गए सैनिकों और दूसरे परिवारों के गरीब और अनाथ बच्चो को पढ़ाने का काम करती है.

पार्सल बम के निशाने पर है सामाजिक संस्था, आरोपी तक पहुंचने के लिए पुलिस ने बनवाया स्केच
पार्सल बम विस्फोट के मामले में आरोपी का स्कैच.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में एक कुरियर कंपनी में हुए पार्सल बम धमाके के मुख्य आरोपी का पुलिस अभी तक पता नहीं लगा पाई है. हालांकि इस मालमे की जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि आरोपी युवक के निशाने पर सिर्फ सामाजिक संस्था ही थी. इस घटना में आरोपी ने पुणे की एक सामाजिक संस्था को अपना निशाना बनाया था.  खास बात है कि जिस संस्था को निशाना बनाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमलों में मारे गए सैनिकों और दूसरे परिवारों के गरीब और अनाथ बच्चो को पढ़ाने का काम करती है. पुणे के उसके आवासीय इमारत में आज भी 186 के करीब बच्चे पढ़ते हैं. मामले की जांच में हुए खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों के हाथ पांव फूल गए हैं और वो इस बात की जांच में जुट गई है कि ये पार्सल बम कहीं किसी बड़ी साजिश का हिस्सा तो नही है.

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इस बीच नासिक रेंज के आई जी विनॉय चौबे के मुताबिक मारुति कूरियर कंपनी में पार्सल बम लाने वाले व्यक्ति की तलाश जारी है. आरोपी तक पहुंचने के लिए पुलिस ने आसपास के दुकानों में लगे सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीदों के बयान के आधार पर संदिग्ध का स्केच बनवाया है. उन्होंने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के लिए हमारी अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं. अभी तक की जांच में पता चला है कि उसके द्वारा लिखा गया पता और फ़ोन नम्बर गलत थे. विस्फोटक की पहचान के लिए उसके निशान फोरेंसिक लैब में भेजे गए हैं.  रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि कौन से विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था.

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ध्यान हो कि अहमदनगर शहर के बीच माळीवाडा इलाके में मंगलवार रात 10 बजे के करीब मारुति कुरियर कार्यालय में धमाका हुआ था. मामले में एनजीओ के निशाने पर होने की जानकारी के बाद एटीएस और एनआईए भी जांच में जुटी हैं। शरहद एनजीओ के संचालक संजय नाहर से भी जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है.

VIDEO: गरीबों की सुद लेने वाला कोई नहीं. 


पुलिस सूत्रों के मुताबिक संजय नाहर की संस्था पंजाब में खालिस्तान आंदोलन के समय भी वहां के अनाथ बच्चो को पढ़ाने का काम कर चुकी है.

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