Palghar Lynching: महाराष्ट्र के पालघर लिंचिंग (Palghar Lynching) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य सरकार से जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी. इस संबंध में दायर याचिका में पालघर मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए जांच राज्य CID से वापस लेने की मांग की गई थी. पालघर में बच्चों के चोर की अफवाह के बीच गुस्साए ग्रामीणों ने एक वाहन में सवार दो साधुओं सहित तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.
पालघर लिंचिंग पर दाखिल जनहित याचिका PIL में कहा गया है कि यह घटना लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन है. सवाल यह है कि पुलिस ने इतनी भीड़ को कैसे इकट्ठा होने दिया. गौरतलब है कि पालघर इलाके में चोरों के घूमने की अफवाह थी. रात 10 बजे के करीब खानवेल मार्ग पर नासिक की तरफ से आ रही चार पहिया वाहन में तीन लोग थे. गांव वालों ने रोका और फिर चोर होने की शक में पत्थरों-लाठियों से हमला कर दिया. तीनों की मौके पर ही मौत हो गई. मरने वालों में से दो की पहचान साधुओं के रूप में हुई जबकि तीसरा उनका ड्राइवर था. इसमें 35 साल के सुशीलगिरी महाराज और 70 साल के चिकणे महाराज कल्पवृक्षगिरी थे जबकि 30 साल का निलेश तेलगड़े ड्राइवर था. तीनों मृतक मुंबई के कांदिवली से सूरत एक अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने जा रहे थे.
इस घटना को लेकर महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिवसेना-एनसीपी कांग्रेस सरकार और विपक्षी पार्टी बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था. बीजेपी ने दो साधुओं की इस तरह पीट-पीटकर की गई हत्या को बड़ा मुद्दा बनाया था और इसे राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति से जोड़ा था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं