जम्मू कश्मीर में मानवरहित विमानों के जरिए हथियार भेजने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान: डीजीपी

जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में मानवरहित विमानों के जरिए हथियार और गोला-बारूद भेजने का पाकिस्तान ने एक नया तरीका अपना लिया है और विगत में इस तरह की कई घटनाओं का पर्दाफाश हुआ है.

जम्मू कश्मीर में मानवरहित विमानों के जरिए हथियार भेजने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान: डीजीपी

जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह - फाइल फोटो

श्रीनगर:

जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में मानवरहित विमानों के जरिए हथियार और गोला-बारूद भेजने का पाकिस्तान ने एक नया तरीका अपना लिया है और विगत में इस तरह की कई घटनाओं का पर्दाफाश हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में वर्तमान में 200 से कम आतंकवादी सक्रिय हैं और इस साल अब तक सीमा पार से केवल 26 आतंकी ही इस केंद्रशासित प्रदेश में प्रवेश कर पाए हैं.

सिंह ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ड्रोन (मानवरहित विमानों) के जरिए आतंकवादियों को हथियार और गोला-बारूद भेजने की कोशिश करता रहा है. हमने विगत में ऐसी कई घटनाओं का पता लगाया है.'' पुलिस प्रमुख ने कहा कि इस तरह की घटनाएं कुपवाड़ा, हीरानगर, कठुआ और राजौरी में सामने आईं.

उन्होंने कहा कि विगत में जम्मू कश्मीर में ट्रक के जरिए हथियार भेजने के पाकिस्तान के एक और तरीके का पंजाब में पर्दाफाश हुआ था. पुलिस महानिदेशक ने कहा, ‘‘यहां मौजूद आतंकवादियों के लिए हथियारों की भारी कमी हो गई है.''

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए इस साल सीमा पार से गोलीबारी में वृद्धि कर दी है. सिंह ने कहा, ‘‘सीमा पार से 2020 के पहले सात महीनों में 75 प्रतिशत अधिक गोलीबारी हुई है. इस जुलाई तक पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी की 487 घटनाएं हुईं, जबकि 2019 में इसी अवधि के दौरान इस तरह की 267 घटनाएं हुई थीं. गोलीबारी आतंकवादियों को कवच उपलब्ध कराने के लिए की जाती है. इस साल अब तक, केवल 26 आतंकवादी ही जम्मू कश्मीर में घुसपैठ कर पाने में सफल हो पाए हैं.''

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि सतत आतंकवाद रोधी अभियान की वजह से सुरक्षाबल जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों पर अंकुश लगाकर उनकी संख्या को अब 200 से कम कर पाने में सफल हुए हैं, जबकि कुछ साल पहले यह संख्या 300-350 के करीब होती थी.

आतंकवाद से स्थानीय युवकों के जुड़ने के मुद्दे पर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि इस साल 80 युवक विभिन्न आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं जिनमें से अब 20 ही सक्रिय हैं और इस तरह के आतंकवादियों का अधिकतम जीवन अब 90 दिन का है. उन्होंने कहा, ‘‘इस साल अब तक 80 स्थानीय युवक आतंकवाद से जुड़े हैं जिनमें से 38 मारे गए और 22 को गिरफ्तार कर लिया गया. आतंकवाद से जुड़ने वाले इन लोगों में से अब 20 ही सक्रिय हैं.''

पुलिस प्रमुख ने कहा कि 2020 में अब तक 150 आतंकवादी मारे जा चुके हैं जिनमें से 30 विदेशी और 39 लोग आतंकवादी संगठनों के शीर्ष कमांडर थे. उन्होंने कहा, ‘‘आतंकी समूह नेतृत्वविहीन हैं और हथियारों की भारी कमी का समाना कर रहे हैं.''

पिछले दो साल में आतंकवाद रोधी अभियान की सफलता का दावा करते हुए पुलिस प्रमुख ने कहा कि यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि सुरक्षाबलों ने आतंकी समर्थक ढांचे - जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर), हुर्रियत और उनके सदस्यों तथा आतंकी संगठनों के लिए प्रत्यक्ष तौर पर काम करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है.

उन्होंने कहा कि जमात और हुर्रियत के अधिकतर नेता तथा आतंकी संगठनों के लिए प्रत्यक्ष तौर पर काम करने वाले अधिकतर लोग हिरासत में हैं और उनकी गतिविधियां थम गई हैं. सिंह ने बताया कि जम्मू कश्मीर पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक आतंकवाद निगरानी समूह (टीएमजी) का गठन किया गया है जो आतंकवादियों और उनके समर्थकों के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए लगातार काम कर रहा है.

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उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा तथा नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और परिणामस्वरूप इन सीमाओं पर इस साल अब तक छह मुठभेड़ हुई हैं. पुलिस महानिदेशक ने बताया कि 2019 के पहले सात महीनों में आतंकवाद की 198 घटनाएं हुई थीं, लेकिन 2020 में इसी अवधि में इनमें 70 प्रतिशत की कमी आई है और आतंकवाद की 124 घटनाएं हुई हैं.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)