नई दिल्ली:
भारत ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के आठ अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने के पाकिस्तान के आरोपों को 'निराधार और पुष्टिहीन' करार देते हुए खारिज कर दिया. इन आरोपों के कारण भारत के पास अपने इन अधिकारियों को वापस बुलाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने तीखी प्रतिक्रिया में कहा कि भारतीय अधिकारियों के खिलाफ आरोप बाद में गढ़कर लगाए गए और उनकी कोई गलती नहीं होने के बावजूद उन्हें निशाना बनाने का यह एक 'अशिष्ट प्रयास' है. इससे पहले पाकिस्तान उच्चायोग के एक सदस्य को पिछले हफ्ते भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर रंगे हाथ पकड़ा गया था.
भारत ने उस तरीके पर भी कड़ा विरोध जताया है, जिसमें आठ भारतीय अधिकारियों के नाम और फोटो को छापा गया और उनकी सुरक्षा से समझौता किया गया. इनमें से चार अधिकारियों के पास राजनयिक पासपोर्ट है.
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारतीय उच्चायोग के अधिकारी बलूचिस्तान और सिंध खासकर कराची में जासूसी, विध्वंसक और आतंकी गतिविधियों को सहयोग देने, चीन पाकिस्तान आर्थिक परिपथ को नुकसान पहुंचाने एवं दोनों राज्यों में अस्थिरता को हवा देने जैसे कार्यों में संलिप्त थे. यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय अधिकारियों को वापस बुलाया जा रहा है, स्वरूप ने कहा कि यह एक प्रक्रियागत मामला है तथा सरकार स्थिति के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर आवश्यक कदम उठाएगी. उन्होंने सुरक्षा को एक प्राथमिकता बताया.
स्वरूप ने कहा, 'हम पाकिस्तान द्वारा इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए निराधार और बिना पुष्टिवाले आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं. सरकार इन आरोपों से पूरी तरह इंकार करती है.' उन्होंने कहा, 'यह विशेषरूप से खेदजनक है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने अपने छह अधिकारियों को पाक उच्चायोग से वापस बुलाने के बाद यह आरोप लगाना पसंद किया. इन अधिकारियों में से कुछ के नाम महमूद अख्तर ने भारतीय अधिकारियों के समक्ष लिए थे. अख्तर पाकिस्तान उच्चायोग का वह अधिकारी है, जिसे रंगे हाथ पकड़ा गया था.'
पता चला है कि भारत आठ राजनयिकों को वापस बुलाएगा क्योंकि उनकी सुरक्षा के साथ समझौता किया गया है. स्वरूप ने कहा कि 'गलत रूप से फंसाए गए' भारतीय अधिकारी दोनों देशों के बीच लोगों के मध्य तथा व्यापार एवं आर्थिक सम्पर्क बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'उनके खिलाफ पाकिस्तान के गलत आरोपों के कारण उच्चायोग की संबद्ध गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.' उन्होंने कहा कि सरकार उस तरीके का कड़ाई से विरोध करती है जिसमें आठ भारतीयों के नाम एवं फोटो छापे गए जिनमें से चार के पास राजनयिक पासपोर्ट है. यह राजनयिक चलन एवं शिष्टाचार के मूलभूत नियमों के विरुद्ध है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय अधिकारियों के खिलाफ आरोप उनकी सुरक्षा के प्रति हानिकारक हैं. स्वरूप ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान की सरकार न केवल इन आठ राजनयिकों एवं अधिकारियों बल्कि उच्चायोग के अन्य सदस्यों एवं उनके परिवारों के पाकिस्तान में रहने के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी.'
पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग के कर्मचारियों के एक जासूसी कांड में संलिप्तता के बीच अपने छह अधिकारियों को वापस बुला लिया था. पाकिस्तान ने पिछले सप्ताह भारतीय उच्चायोग में अधिकारी सुरजीत सिंह को अवांछित व्यक्ति घोषित किया था तथा स्वरूप ने बताया कि सिंह को वापस बुला लिया गया. स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान के निराधार आरोपों के कारण क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए जोखिम बढ़ गया है, जो पड़ोसियों के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान द्वारा दिये जाने वाले सहयोग के कारण ही पैदा हुआ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समस्या से पूरी तरह से इंकार करता है और अनर्गल आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारियों से बच जाता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने तीखी प्रतिक्रिया में कहा कि भारतीय अधिकारियों के खिलाफ आरोप बाद में गढ़कर लगाए गए और उनकी कोई गलती नहीं होने के बावजूद उन्हें निशाना बनाने का यह एक 'अशिष्ट प्रयास' है. इससे पहले पाकिस्तान उच्चायोग के एक सदस्य को पिछले हफ्ते भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर रंगे हाथ पकड़ा गया था.
भारत ने उस तरीके पर भी कड़ा विरोध जताया है, जिसमें आठ भारतीय अधिकारियों के नाम और फोटो को छापा गया और उनकी सुरक्षा से समझौता किया गया. इनमें से चार अधिकारियों के पास राजनयिक पासपोर्ट है.
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारतीय उच्चायोग के अधिकारी बलूचिस्तान और सिंध खासकर कराची में जासूसी, विध्वंसक और आतंकी गतिविधियों को सहयोग देने, चीन पाकिस्तान आर्थिक परिपथ को नुकसान पहुंचाने एवं दोनों राज्यों में अस्थिरता को हवा देने जैसे कार्यों में संलिप्त थे. यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय अधिकारियों को वापस बुलाया जा रहा है, स्वरूप ने कहा कि यह एक प्रक्रियागत मामला है तथा सरकार स्थिति के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर आवश्यक कदम उठाएगी. उन्होंने सुरक्षा को एक प्राथमिकता बताया.
स्वरूप ने कहा, 'हम पाकिस्तान द्वारा इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए निराधार और बिना पुष्टिवाले आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं. सरकार इन आरोपों से पूरी तरह इंकार करती है.' उन्होंने कहा, 'यह विशेषरूप से खेदजनक है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने अपने छह अधिकारियों को पाक उच्चायोग से वापस बुलाने के बाद यह आरोप लगाना पसंद किया. इन अधिकारियों में से कुछ के नाम महमूद अख्तर ने भारतीय अधिकारियों के समक्ष लिए थे. अख्तर पाकिस्तान उच्चायोग का वह अधिकारी है, जिसे रंगे हाथ पकड़ा गया था.'
पता चला है कि भारत आठ राजनयिकों को वापस बुलाएगा क्योंकि उनकी सुरक्षा के साथ समझौता किया गया है. स्वरूप ने कहा कि 'गलत रूप से फंसाए गए' भारतीय अधिकारी दोनों देशों के बीच लोगों के मध्य तथा व्यापार एवं आर्थिक सम्पर्क बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'उनके खिलाफ पाकिस्तान के गलत आरोपों के कारण उच्चायोग की संबद्ध गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.' उन्होंने कहा कि सरकार उस तरीके का कड़ाई से विरोध करती है जिसमें आठ भारतीयों के नाम एवं फोटो छापे गए जिनमें से चार के पास राजनयिक पासपोर्ट है. यह राजनयिक चलन एवं शिष्टाचार के मूलभूत नियमों के विरुद्ध है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय अधिकारियों के खिलाफ आरोप उनकी सुरक्षा के प्रति हानिकारक हैं. स्वरूप ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान की सरकार न केवल इन आठ राजनयिकों एवं अधिकारियों बल्कि उच्चायोग के अन्य सदस्यों एवं उनके परिवारों के पाकिस्तान में रहने के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी.'
पाकिस्तान ने अपने उच्चायोग के कर्मचारियों के एक जासूसी कांड में संलिप्तता के बीच अपने छह अधिकारियों को वापस बुला लिया था. पाकिस्तान ने पिछले सप्ताह भारतीय उच्चायोग में अधिकारी सुरजीत सिंह को अवांछित व्यक्ति घोषित किया था तथा स्वरूप ने बताया कि सिंह को वापस बुला लिया गया. स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान के निराधार आरोपों के कारण क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए जोखिम बढ़ गया है, जो पड़ोसियों के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान द्वारा दिये जाने वाले सहयोग के कारण ही पैदा हुआ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समस्या से पूरी तरह से इंकार करता है और अनर्गल आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारियों से बच जाता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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