
नई दिल्ली:
उपराज्यपाल नजीब जंग को दिल्ली का सर्वेसर्वा बताने से जुड़े गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर चर्चा के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा। इस चर्चा के दौरान आप नेता और विधायक एलजी से इस क़दर नाराज़ दिखे कि उनके ख़िलाफ़ महाभियोग का रास्ता खोजने लगे।
यहां आम आदमी पार्टी के विधायक आदर्श शास्त्री ने उपराज्यपाल नजीब जंग के खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि विधानसभा को यह प्रस्ताव पास करना चाहिए साथ ही धारा 155 और 156 में सुधार करना चाहिए। ऐसा करने से राज्य के विधानसभा को उपराज्यपाल को हटाने की शक्ति प्राप्त होगी।
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में हाईकोर्ट के आदेश पर चर्चा हुई।
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश 21 मई के केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को भी कठघरे में खड़ा करता है, जिसमें कि दिल्ली का एंटी करप्शन ब्यूरो केंद्र सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों या जनसाधारण के किसी भी सदस्य के विरुद्ध अपराधों का कोई संज्ञान नहीं लेगा। इसी के आधार पर रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी, लेकिन अदालत ने ज़मानत याचिका खारिज कर दी।
केंद्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में भी एंटी करप्शन ब्यूरो के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था। हालांकि जस्टिस विपिन संघी ने दोनों ही नोटिफिकेशन को संदिग्ध बताते हुए कहा कि यह कर्मचारी दिल्ली की जनता की सेवा में ही लगा हुआ है।
यहां आम आदमी पार्टी के विधायक आदर्श शास्त्री ने उपराज्यपाल नजीब जंग के खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि विधानसभा को यह प्रस्ताव पास करना चाहिए साथ ही धारा 155 और 156 में सुधार करना चाहिए। ऐसा करने से राज्य के विधानसभा को उपराज्यपाल को हटाने की शक्ति प्राप्त होगी।
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में हाईकोर्ट के आदेश पर चर्चा हुई।
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश 21 मई के केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को भी कठघरे में खड़ा करता है, जिसमें कि दिल्ली का एंटी करप्शन ब्यूरो केंद्र सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों या जनसाधारण के किसी भी सदस्य के विरुद्ध अपराधों का कोई संज्ञान नहीं लेगा। इसी के आधार पर रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी, लेकिन अदालत ने ज़मानत याचिका खारिज कर दी।
केंद्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में भी एंटी करप्शन ब्यूरो के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था। हालांकि जस्टिस विपिन संघी ने दोनों ही नोटिफिकेशन को संदिग्ध बताते हुए कहा कि यह कर्मचारी दिल्ली की जनता की सेवा में ही लगा हुआ है।
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