छात्रों के विरोध और नागरिकता कानून (CAA) और NRC के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के चलते वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए विपक्षी दल सोमवार को दोपहर में बैठक करेंगे. विपक्ष पार्टियों इस बैठक के साथ अपनी एकता दिखाना चाहती हैं, लेकिन इसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल नहीं होंगी. वहीं बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया. मायावाती ने सोमवार को ट्वीट करते इसकी जानकारी दी. मायावती ने ट्वीट करके कांग्रेस पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा कि बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है. केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले. साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण. आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के नेतृत्व में बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने से मना कर दिया है.
10 बड़ी बातें
- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में गुरुवार को साफ शब्दों में कहा था कि ‘‘अगर जरुरत पड़ी तो वह अकेले लड़ेंगी.'' सदन में ही उन्होंने विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा और सीएए के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के बहिष्कार की घोषणा भी की.
- बनर्जी बुधवार को ट्रेड यूनियनों के बंद के दौरान राज्य में वामपंथी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा की गई कथित हिंसा से भी नाराज हैं. बंद केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों, संशोधित नागरिकता कानून और पूरे देश में प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में आहूत किया गया था.
- ट्रेड यूनियनों के 24 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं. प्रदर्शनकारियों ने रेल और सड़क यातायात बाधित करने करने का भी प्रयास किया.
- बनर्जी ने कहा कि वामपंथियों और कांग्रेस के ‘‘दोहरे मानदंड'' को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. विधानसभा द्वारा सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद बनर्जी ने कहा, ‘‘मैंने नयी दिल्ली में 13 जनवरी को सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है क्योंकि मैं वाम और कांग्रेस द्वारा कल (बुधवार) पश्चिम बंगाल में की गई हिंसा का समर्थन नहीं करती हूं.'
- ममता ने कहा कि चूंकि सदन सितंबर, 2019 में ही पूरे देश में प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुका है ऐसे में नए सिरे से प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं है.
- मायावाती ने भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर राजस्थान के कोटा में बच्चों की मौत के मामले में निशाना साधा था. मायावती ने कहा था कि 'अगर कांग्रेस की महिला महासचिव' कोटा जाकर उन माताओं से नहीं मिलती हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है तो यूपी में पीड़ित परिवारों से उनकी मुलाकात को राजनितक ड्रामा माना जाएगा.
- मायावती ने सोमवार को ट्वीट करते हुए लिखा है, 'जैसाकि विदित है कि राजस्थान में कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है. ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा. इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी.
- वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ' वैसे भी बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है. केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले. साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण.
- सीएए के खिलाफ जब विपक्षी दल राष्ट्रपति के पास गए थे, उस वक्त भी बसपा उनके साथ नहीं थी. हालांकि पार्टी ने बाद में इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की थी.
- शनिवार को, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने नागरिकता कानून को एक "भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी" कानून करार दिया, जिसका "नापाक" उद्देश्य लोगों को धार्मिक आधार पर विभाजित करना था. "सीएए एक भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून है. कानून का भयावह उद्देश्य हर देशभक्त, सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष भारतीय के लिए स्पष्ट है: भारतीय लोगों को धार्मिक आधार पर विभाजित करना है," पार्टी ने सीएए को तत्काल वापस लेने और एनपीआर की प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी.