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नई दिल्ली: विपक्षी पार्टियों ने जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई को लेकर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को संयुक्त प्रस्ताव भेजा है. आठ विपक्षी दलों के नेताओं ने मीडिया में संयुक्त बयान जारी करते हुए कश्मीर में राजनीतिक नजरबंदियों की तुरंत रिहाई की मांग की है. जिन लोगों को नजरबंद किया गया है, उनमें जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती- शामिल हैं. केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद तीनों मुख्यमंत्रियों समेत राज्य के अन्य राजनेताओं को नजरबंद किया था. लंबे समय से इन लोगों की रिहाई की मांग की जा रही है.
प्रस्ताव में कहा गया है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लोकतांत्रिक असहमति को आक्रामक प्रशासनिक कार्रवाई से दबाया जा रहा है. इसने संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के बुनियादी सिद्धांतों को जोखिम में डाल दिया है." इसमें कहा गया कि लोकतांत्रिक मानदंड़ों, नागरिकों के मौलिक अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता पर हमले बढ़ रहे हैं.
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जिन नेताओं ने मीडिया में संयुक्त बयान जारी किया है, उनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी.राजा, आरजेडी से राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी शामिल हैं.
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उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों- फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूब मुफ्ती को जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत नजरबंद किया गया. सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से इन नेताओं के भड़काऊ बयानों का हवाला देते हुए इन्हें नजरबंद रखा है. उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने अपने भाई की पीएसए के तहत नजरबंदी को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
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