नई दिल्ली:
भाजपा नेता विनय कटियार की ओर से हाल ही में राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग किए जाने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या मामले का हल कानून से नहीं, बल्कि अदालत से होगा।
पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा, ‘‘यह कहा गया है कि कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जाए, लेकिन यह नहीं हो सकता क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। हमने पहले ही कहा है कि मामले का समाधान कानून से नहीं, बल्कि न्यायालय से होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला अब उच्चतम न्यायालय में है और वहां से जो भी फैसला आएगा, वो हमे स्वीकार्य होगा।’’ हाल में भाजपा के राज्यसभा सदस्य और राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कटियार ने कहा था कि राम मंदिर का मुद्दा भी देश के आर्थिक विकास की तरह महत्वपूर्ण है और मंदिर के निर्माण के लिए सरकार को कानून लाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर इस मुद्दे को अभी भी नजरअंदाज किया गया तो ‘रामभक्तों का गुस्सा ज्वालामुखी बनकर फूट सकता है।’
कुरैशी ने कटियार के इस बयान को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि कटियार सरकार में अपनी भूमिका चाहते थे और उन्हें यह नहीं मिली। अब वह अपनी अहमियत जताना चाहते हैं।..हम उनके बयान को अहमियत नहीं देते।’’
कुरैशी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि इस मामले पर कानून नहीं बनाया जा सकता क्योंकि सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘उनके बयान से कुछ दिनों पहले गृह मंत्री का एक बयान आया था कि राम मंदिर के निर्माण के लिए कानून नहीं बनाया जा सकता क्योंकि राज्यसभा में बहुमत नहीं है।’’
यह पूछे जाने पर कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल अदालत से बाहर बातचीत के जरिए निकाले जाने की गुंजाइश है तो उन्होंने इससे इंकार किया।
पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बातचीत किससे करनी है। जो कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं हो, उससे क्या बातचीत करें।’’ इस सवाल पर कि सरकार की ओर से बातचीत की पहल करने पर बोर्ड का क्या रुख होगा, उन्होंने कहा, ‘‘यदि सरकार बातचीत का प्रस्ताव लेकर आती है तो हम यह अभी नहीं कह सकते कि क्या होगा। वैसे हमें इस सरकार से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है।’’
पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा, ‘‘यह कहा गया है कि कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जाए, लेकिन यह नहीं हो सकता क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। हमने पहले ही कहा है कि मामले का समाधान कानून से नहीं, बल्कि न्यायालय से होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला अब उच्चतम न्यायालय में है और वहां से जो भी फैसला आएगा, वो हमे स्वीकार्य होगा।’’ हाल में भाजपा के राज्यसभा सदस्य और राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कटियार ने कहा था कि राम मंदिर का मुद्दा भी देश के आर्थिक विकास की तरह महत्वपूर्ण है और मंदिर के निर्माण के लिए सरकार को कानून लाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर इस मुद्दे को अभी भी नजरअंदाज किया गया तो ‘रामभक्तों का गुस्सा ज्वालामुखी बनकर फूट सकता है।’
कुरैशी ने कटियार के इस बयान को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि कटियार सरकार में अपनी भूमिका चाहते थे और उन्हें यह नहीं मिली। अब वह अपनी अहमियत जताना चाहते हैं।..हम उनके बयान को अहमियत नहीं देते।’’
कुरैशी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि इस मामले पर कानून नहीं बनाया जा सकता क्योंकि सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘उनके बयान से कुछ दिनों पहले गृह मंत्री का एक बयान आया था कि राम मंदिर के निर्माण के लिए कानून नहीं बनाया जा सकता क्योंकि राज्यसभा में बहुमत नहीं है।’’
यह पूछे जाने पर कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का हल अदालत से बाहर बातचीत के जरिए निकाले जाने की गुंजाइश है तो उन्होंने इससे इंकार किया।
पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बातचीत किससे करनी है। जो कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं हो, उससे क्या बातचीत करें।’’ इस सवाल पर कि सरकार की ओर से बातचीत की पहल करने पर बोर्ड का क्या रुख होगा, उन्होंने कहा, ‘‘यदि सरकार बातचीत का प्रस्ताव लेकर आती है तो हम यह अभी नहीं कह सकते कि क्या होगा। वैसे हमें इस सरकार से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है।’’
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