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This Article is From Apr 11, 2015

आम आदमी पार्टी से 'दान' वापस मांगने वालों की लिस्ट में जुड़ा एक और नाम

आम आदमी पार्टी से 'दान' वापस मांगने वालों की लिस्ट में जुड़ा एक और नाम
नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी में बगावत और दान का सामान वापिस मांगने वालों की लिस्ट बढ़ती ही जा रही है। अब बुराड़ी से आम आदमी पार्टी के एक और वॉलिनटीयर ने अपने खाने की थाली पर दिए एक लाख रुपये वापिस मांगे हैं। इस शख्स ने बुराड़ी में आयोजित खाने की थाली पर एक लाख रुपये दान में दिए थे और खुद केजरीवाल को पत्र लिखकर इन्होंने AAP को समर्थन को बड़ी गलती माना और रोष जताया है।

आम आदमी पार्टी से अपना दान वापस मांगने वालों की लिस्ट में ये नया नाम बुजुर्ग सीपी सिंह हैं। ये भी अरविन्द केजरीवाल के अपने जिले भिवानी से ही हैं। सीपी सिंह आम आदमी पार्टी के अच्छे समर्थक थे। अब ये पार्टी में हो रहे घमासान से परेशान हैं और खुद अरविन्द केजरीवाल से नाराज हैं।

सिंह का दावा है कि इन्होंने AAP को न केवल वोट दिया बल्कि वक्त वक्त पर पैसे देकर सपोर्ट भी किया। सिंह कहते हैं कि तिमारपुर और बुराड़ी दो विधानसभा में आम आदमी पार्टी के लिए काफी पैसे खर्च किए हैं। यहां तक की जब बुराड़ी में गत चुनावों में अरविन्द केजरीवाल ने पैसे जमा करने के लिए थाली का आयोजन किया तो इन्होंने एक लाख रुपये दान उसी वक्त दिए। अब सिंह खुद केजरीवाल के रवैये से नाराज हैं और अपने एक लाख रुपये वापिस मांग रहे हैं।

अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहते हैं कि वे स्वराज की बात से काफी प्रभावित हुए थे और अब कारनामे देखकर खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल को लिखी चिट्ठी में उन्होंने तमाम आरोप लगाए हैं।

आइए एक नजर डालते हैं अब तक के उन खबरों पर जो आम आदमी पार्टी के भीतर मचे घमासान से नाराज वॉलनटीयरों के अपने दान को वापस मांगने से सुर्खियों में आईं..

पहली घटना :
पार्टी के एक समर्थक कुंदन शर्मा, ने अरविंद केजरीवाल से दान में दी हुई ब्लू वैगन-आर कार वापस मांगी है। साथ ही उन्होंने दान में दी हुई बाइक और रुपये भी वापस मांगे थे।

शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि जो नीली वैगन आर, बाइक और लाखों रुपये मैंने 'आप' को दिए वह वापस दे दो।

उन्होंने पार्टी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मुझे खुशी होगी अगर पार्टी दिए गए दान को वापस लेने का अधिकार देती है। साथ ही उन्होंने कहा कि बालयान जैसे विधायकों को वापस बुलाने के अधिकार के बजाय यह अधिकार दे दिया जाना चाहिए। बालयान को वापस बुलाना तो मुमकिन नहीं है, सो दान को वापस लेने का अधिकार दे दिया जाना चाहिए।

दूसरी घटना
आम आदमी पार्टी का लोगो बनाने वाले डिजाइनर सुनील लाल ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा है कि इस लोगो का अधिकार उनके पास है क्योंकि यह उनकी बौद्धिक  संपदा है और वे चाहते हैं कि पार्टी इसका इस्तेमाल बंद कर दे।

 सुनील ने अपने फेसबुक पर लिखा है, 'वालंटियर भाइयों आपका सदुपयोग सत्ता पाने के लिए हो चुका है। खबरदार अगर आगे आये तो, आपके पैसे से ही बुलाये गए AAP BRAND (PRIVATE) गुंडों से ही आपको ठिकाने लगाया जाएगा अब। दुनियाभर के मंदबुद्धि AAP अंधभक्तों द्वारा दिए गए चंदे का बेहतरीन सदुपयोग। तरस आता है अब तो अंधभक्तों पर...

सुनील लाल ने कहा कि इस लोगो का कभी भी कोई कॉपीराइट नहीं लिया गया था। इसे 13 जुलाई 2013 को अरविंद केजरीवाल को दिया गया था। उनका यह भी दावा है कि इसका डिजाइन काफी पहले तैयार कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि अन्य पार्टी या नेताओं की तरह यह पार्टी हो जाए तो क्या फर्क रहा। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर सीधा हमला करते हुए कहा कि हम एक आदमी की सनक का स्वराज नहीं चाहते।

तीसरी घटना
लंदन में रहने वाले रवि शर्मा ने अपनी फेसबुक वाल पर लिखा कि आम आदमी पार्टी कि अंतर्कलह से वो काफ़ी दुखी हैं, जो योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण के साथ हुआ वो बिलकुल गलत है इसलिए जब तक ये मसला सुलझ नहीं जाता तब तक उनके द्वारा डिज़ाइन की गई 'डोनेशन सर्टिफिकेट तकनीक' का इस्तेमाल न किया जाए।

रवि कि मानें तो इस तकनीक की मदद से अब तक 110000 सर्टिफिकेट बांटे जा चुके हैं, उनका कहना है कि उन्होंने 'वॉइस ऑफ़ आप' नाम की एक ऐप डिज़ाइन की थी जिसकी पहुंच अब तक 85 लाख लोगों तक है। इसके तकरीबन 13,40,000 FB पोस्ट्स हैं और 18,30,000 से भी ज़्यादा री ट्वीट्स हैं, ऐसी कई और तकनीक है जिसका इस्तेमाल 'आप' पार्टी कर रही है जो उनके द्वारा डिज़ाइन की गयी हैं।

रवि कहते हैं कि उनके पास अभी भी इन सभी डिजाइंस का मालिकाना हक़ है और वो इनके इस्तेमाल को रोक सकते हैं। रवि लन्दन में रहते हैं और एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी में काम करते हैं। रवि 2013 से आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने 'आप' के लिए काफी चंदा भी दिया है और इकट्ठा भी किया है। वो पैसा तो वापस नहीं चाहते हैं पर वो साफ़ करते हैं कि वो 'आप' की विचारधारा से जुड़े थे न कि सचिवालय में बैठे नेताओं से।

कुल मिलाकर AAP से पलायन जारी है और लोगो का भरोसा जिस रफ़्तार से टूट रहा है उसको बनाए रखना अरविन्द केजरीवाल के सामने बड़ी चुनौती बन गया है।

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