जयापुर:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिया गांव जयापुर. 9 दिसंबर की सुबह 8 बजे सिंडिकेट बैंक के एटीएम पर नोट निकालने के लिये लोगों की लाइन लगी हुई है और एटीएम खुलने का लोग इंतज़ार कर रहे है. लोगों से पूछने पर पता चला कि एटीएम 10 बजे खुलता है. उसके बाद पैसा निकलता है और दोपहर होते होते पैसा ख़त्म हो जाता है तो एटीएम बंद हो जाता है. नोटबंदी के बाद से यहां रोज के यही हाल हैं. एक दिन में 2 लाख रुपये डाले जाते है जो 100 लोगों की निकासी के लिये ही हो पाता है. लिहाजा हर कोई सुबह जल्दी आ कर अपनी बारी का इंतज़ार करता है.
वैसे जयापुर में 2 बैंक के एटीएम है एक सिंडिकेट बैंक और दूसरा युनियन बैंक. युनियन बैंक का एटीएम 3 दिनों से नोट की कमी की वजह से बन्द है लिहाजा सारा भार सिंडिकेट बैंक पर है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के गोद लिये गांव जयापुर के युनियन बैंक में तक़रीबन 8 हजार लोगों के खाते हैं. यह बैंक अगल बगल के 10 किलोमीटर के दायरे के गांव के लोगों को बैंकिंग सुविधा देता है. लिहाजा यहां लोगों की लाईन भी लम्बी होती है. फिलहाल बैंक में स्थिति अब धीरे धीरे सामान्य ही रही है लेकिन नोट निकासी में अभी भी लोगों को परेशानी है.
सरकार कैशलेस की बात कर रही है. सरकार कार्ड से लेनदेन के चलन को बढ़ाना चाहती है लेकिन गांव में इसको लेकर बहुत संशय है. एक तो लोग इसके बारे में इतने जानकार नहीं है दूसरा लोगों को डर है कि जागरुकता न होने की वजह से उनके पैसे को धोखाधड़ी से चुरा सकते है. ऐसी कहानी भी गांव में सुनने को मिली लिहाजा लोग अभी उससे बचना चाह रहे हैं. ऐसे में कैशलेस इकॉनामी के लिये सरकार के पास बड़ी चुनौतियां हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि वो इससे कैसे निपटती है.
वैसे जयापुर में 2 बैंक के एटीएम है एक सिंडिकेट बैंक और दूसरा युनियन बैंक. युनियन बैंक का एटीएम 3 दिनों से नोट की कमी की वजह से बन्द है लिहाजा सारा भार सिंडिकेट बैंक पर है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के गोद लिये गांव जयापुर के युनियन बैंक में तक़रीबन 8 हजार लोगों के खाते हैं. यह बैंक अगल बगल के 10 किलोमीटर के दायरे के गांव के लोगों को बैंकिंग सुविधा देता है. लिहाजा यहां लोगों की लाईन भी लम्बी होती है. फिलहाल बैंक में स्थिति अब धीरे धीरे सामान्य ही रही है लेकिन नोट निकासी में अभी भी लोगों को परेशानी है.
सरकार कैशलेस की बात कर रही है. सरकार कार्ड से लेनदेन के चलन को बढ़ाना चाहती है लेकिन गांव में इसको लेकर बहुत संशय है. एक तो लोग इसके बारे में इतने जानकार नहीं है दूसरा लोगों को डर है कि जागरुकता न होने की वजह से उनके पैसे को धोखाधड़ी से चुरा सकते है. ऐसी कहानी भी गांव में सुनने को मिली लिहाजा लोग अभी उससे बचना चाह रहे हैं. ऐसे में कैशलेस इकॉनामी के लिये सरकार के पास बड़ी चुनौतियां हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि वो इससे कैसे निपटती है.
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