बालिपेटा (ओडिशा)/रायपुर:
ओडिशा में सत्तारुढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक झीना हिकाका को एक महीने से अधिक समय तक बंधक बनाए रखने के बाद नक्सलियों ने बुधवार को उन्हें रिहा कर दिया जबकि छत्तीसगढ़ में अगवा सुकमा जिले के जिलाधिकारी अलेक्स पॉल मेनन के भविष्य को लेकर अभी अनिश्चितता बनी हुई है।
हिकाका की रिहाई हो जाने से नक्सलियों द्वारा अपहरण के दो मामलों में से एक पर तो विराम लग गया है लेकिन अधिकारी मेनन के भविष्य को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों से बातचीत के लिए नक्सलियों द्वारा नामित मध्यस्थों के रायपुर पहुंचने पर मेनन की रिहाई के प्रयासों की प्रक्रिया ने गति पकड़ी। मेनन तक दमा की जरूरी दवाएं पहुंचाने वाले वामपंथी नेता मनीष कुंजम ने बताया कि जिलाधिकारी सेहतमंद एवं सुरक्षित हैं।
मेनन को बंधक बनाए गए ठिकाने से लौटते हुए कुंजम ने कहा कि वह जिलाधिकारी से मिल न सके लेकिन दवाइयां उन तक पहुंच गईं।
ज्ञात हो कि नक्सलियों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता कुंजम को अपना मध्यस्थ नियुक्त किया था लेकिन उन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी। कुंजम सुकमा में मेनन की पत्नी आशा से भी मिले और उन्हें जिलाधिकारी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी।
कुंजम द्वारा मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दिए जाने के बाद नक्सलियों ने बस्तर के पूर्व जिलाधिकारी बीडी शर्मा एवं हैदराबाद के प्रोफेसर जी. हरगोपाल को अपना मध्यस्थ नामित किया। शर्मा एवं हरगोपाल बातचीत के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकार मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव एसके मिश्रा से मिलने वाले हैं।
नक्सलियों ने जिलाधिकारी की रिहाई के लिए प्रमुख रूप से दो मांगें रखी हैं-इनमें जेल में बंद अपने आठ साथियों को छोड़ना एवं ऑपरेशन ग्रीन हंट पर रोक लगाना शामिल है।
दूसरी ओर ओडिशा में हिकाका की रिहाई से सरकार और पीड़ित परिजनों ने राहत की सांस ली। 37 वर्षीय हिकाका अपनी पत्नी कौशल्या से गले मिलकर फूट-फूट कर रोने लगे। उन्होंने कहा कि वह ठीक हैं और नक्सली उनके साथ सलीके से पेश आ रहे थे।
बालिपेटा के एक आम के बाग में हिकाका सुबह 10.30 बजे जैसे ही कुछ ग्रामीणों के साथ पहुंचे तो उन्हें मीडियाकर्मियों ने घेर लिया। पत्रकारों ने नक्सलियों से पद छोड़ने का वादा करने के विषय में पूछने पर विधायक ने कहा, "आप इसके बारे में जान जाएंगे।" विधायक ने कहा कि वह फिलहाल मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, "मैं हिकाका के मुक्त होने पर अति प्रसन्न हूं। दो हफ्ते पहले मैं उनकी वृद्ध मां से मिला था। उनका परिवार गहरे तनाव में था। उनकी माता बीमार थीं। अब पूरे राज्य ने राहत की सांस ली है।"
बीजद के सांसद बैजयंत पांडा ने पत्रकारों से कहा, "उन्हें सुरक्षित देखकर हम अतिप्रसन्न हैं।"
नक्सलियों ने बुधवार को घोषणा की थी कि जन अदालत में हिकाका के ग्रामीणों एवं नक्सलियों से माफी मांगने के बाद उन्हें छोड़ने का निर्णय लिया गया। नक्सलियों ने कोरापुट जिले के लक्ष्मीपुर के विधायक हिकाका का 24 मार्च को अपहरण कर लिया था।
स्थानीय टीवी चैनलों पर 'अरुणा' नाम की नक्सलियों की नेता के प्रसारित ऑडियो संदेश में कहा गया कि विधायक द्वारा विधानसभा एवं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का वादा करने के बाद यह निर्णय सोमवार एवं मंगलवार को आयोजित जन अदालत में लिया गया। उन्होंने कहा कि विधायक ने जन अदालत में उपस्थित नक्सलियों एवं ग्रामीणों से राजनीतिक प्रक्रिया द्वारा उनकी समस्याएं सुलझाने में असमर्थ होने के कारण माफी मांगी थी।
नक्सलियों ने विधायक को छोड़ने के बदले चासी मुलिया आदिवासी संघ (सीएमएस) के सदस्यों की रिहाई की मांग की थी। राज्य सरकार उनमें से 25 को छोड़ने पर राजी भी हो गई लेकिन नक्सलियों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। नक्सलियों के एक नेता ने कुछ दिन पहले कहा था कि वे सीएमएस के सभी सदस्यों की रिहाई चाहते हैं। यद्यपि न तो नक्सलियों ने यह बताया कि सीएमएस के कितने सदस्य जेल में बंद हैं और न ही सरकार यह संख्या बताने को इच्छुक थी।
हिकाका की रिहाई हो जाने से नक्सलियों द्वारा अपहरण के दो मामलों में से एक पर तो विराम लग गया है लेकिन अधिकारी मेनन के भविष्य को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों से बातचीत के लिए नक्सलियों द्वारा नामित मध्यस्थों के रायपुर पहुंचने पर मेनन की रिहाई के प्रयासों की प्रक्रिया ने गति पकड़ी। मेनन तक दमा की जरूरी दवाएं पहुंचाने वाले वामपंथी नेता मनीष कुंजम ने बताया कि जिलाधिकारी सेहतमंद एवं सुरक्षित हैं।
मेनन को बंधक बनाए गए ठिकाने से लौटते हुए कुंजम ने कहा कि वह जिलाधिकारी से मिल न सके लेकिन दवाइयां उन तक पहुंच गईं।
ज्ञात हो कि नक्सलियों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता कुंजम को अपना मध्यस्थ नियुक्त किया था लेकिन उन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी। कुंजम सुकमा में मेनन की पत्नी आशा से भी मिले और उन्हें जिलाधिकारी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी।
कुंजम द्वारा मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दिए जाने के बाद नक्सलियों ने बस्तर के पूर्व जिलाधिकारी बीडी शर्मा एवं हैदराबाद के प्रोफेसर जी. हरगोपाल को अपना मध्यस्थ नामित किया। शर्मा एवं हरगोपाल बातचीत के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकार मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव एसके मिश्रा से मिलने वाले हैं।
नक्सलियों ने जिलाधिकारी की रिहाई के लिए प्रमुख रूप से दो मांगें रखी हैं-इनमें जेल में बंद अपने आठ साथियों को छोड़ना एवं ऑपरेशन ग्रीन हंट पर रोक लगाना शामिल है।
दूसरी ओर ओडिशा में हिकाका की रिहाई से सरकार और पीड़ित परिजनों ने राहत की सांस ली। 37 वर्षीय हिकाका अपनी पत्नी कौशल्या से गले मिलकर फूट-फूट कर रोने लगे। उन्होंने कहा कि वह ठीक हैं और नक्सली उनके साथ सलीके से पेश आ रहे थे।
बालिपेटा के एक आम के बाग में हिकाका सुबह 10.30 बजे जैसे ही कुछ ग्रामीणों के साथ पहुंचे तो उन्हें मीडियाकर्मियों ने घेर लिया। पत्रकारों ने नक्सलियों से पद छोड़ने का वादा करने के विषय में पूछने पर विधायक ने कहा, "आप इसके बारे में जान जाएंगे।" विधायक ने कहा कि वह फिलहाल मानसिक रूप से अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, "मैं हिकाका के मुक्त होने पर अति प्रसन्न हूं। दो हफ्ते पहले मैं उनकी वृद्ध मां से मिला था। उनका परिवार गहरे तनाव में था। उनकी माता बीमार थीं। अब पूरे राज्य ने राहत की सांस ली है।"
बीजद के सांसद बैजयंत पांडा ने पत्रकारों से कहा, "उन्हें सुरक्षित देखकर हम अतिप्रसन्न हैं।"
नक्सलियों ने बुधवार को घोषणा की थी कि जन अदालत में हिकाका के ग्रामीणों एवं नक्सलियों से माफी मांगने के बाद उन्हें छोड़ने का निर्णय लिया गया। नक्सलियों ने कोरापुट जिले के लक्ष्मीपुर के विधायक हिकाका का 24 मार्च को अपहरण कर लिया था।
स्थानीय टीवी चैनलों पर 'अरुणा' नाम की नक्सलियों की नेता के प्रसारित ऑडियो संदेश में कहा गया कि विधायक द्वारा विधानसभा एवं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का वादा करने के बाद यह निर्णय सोमवार एवं मंगलवार को आयोजित जन अदालत में लिया गया। उन्होंने कहा कि विधायक ने जन अदालत में उपस्थित नक्सलियों एवं ग्रामीणों से राजनीतिक प्रक्रिया द्वारा उनकी समस्याएं सुलझाने में असमर्थ होने के कारण माफी मांगी थी।
नक्सलियों ने विधायक को छोड़ने के बदले चासी मुलिया आदिवासी संघ (सीएमएस) के सदस्यों की रिहाई की मांग की थी। राज्य सरकार उनमें से 25 को छोड़ने पर राजी भी हो गई लेकिन नक्सलियों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। नक्सलियों के एक नेता ने कुछ दिन पहले कहा था कि वे सीएमएस के सभी सदस्यों की रिहाई चाहते हैं। यद्यपि न तो नक्सलियों ने यह बताया कि सीएमएस के कितने सदस्य जेल में बंद हैं और न ही सरकार यह संख्या बताने को इच्छुक थी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं