
अपनी तरह के एक अनोखे मामले में गंभीर बीमारी से पीड़ित 27 साल की एक युवती ने सुप्रीम कोर्ट से मदद की गुहार लगाई है। ओडिशा की रहने वाली इस युवती ने संविधान का हवाला देते हुए मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को उसकी मदद के लिए कदम उठाने के निर्देश जारी करे। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका पर केंद्र, ओडिशा और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
ओडिशा के केंद्रपाड़ा में रहने वाली सुराती ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि वह एक गंभीर बीमारी से पीड़ित है, जिसकी वजह से वह चलने फिरने में असमर्थ है। इसके अलावा उसके हाथ-पांव भी काम नहीं करते। राज्य सरकार की ओर से उसे सिर्फ 300 रुपये प्रतिमाह ही मिलते हैं, जबकि उसका परिवार बहुत बड़ा है।
युवती ने बताया कि अपनी बीमारी के चलते और इंतजाम ना होने की वजह से वह सिर्फ 9वीं कक्षा तक पढ़ाई कर पाई है। उसके पिता पलंबर का काम करते हैं और बड़े परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सिर्फ आर्थिक मदद करने से कुछ नहीं होगा, सरकार को उसके लिए ऐसी नौकरी का इंतजाम भी करना चाहिए जिसे वह आसानी से कर पाए। इस याचिका में उसने संविधान का हवाला दिया है, जिसमें लोगों के स्वास्थ्य और जिंदगी जीने का अधिकार दिया गया है।
इस मामले में सोमवार को हुई सुनवाई में सुराती के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किस तरह बीमारी के चलते युवती को परेशानी हो रही है और ऐसे में उसे सरकारी मदद मिलनी चाहिए।
हालांकि सुनवाई कर रही बेंच ने यह कहा कि कोर्ट किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं करता, लेकिन वकील ने कहा कि ये सरकार की डयूटी है कि वह नागरिकों की मदद करे। वकील ने मांग की कि युवती के इलाज के लिए सरकार को निर्देश जारी किए जाएं और सरकार को कहा जाए कि उसके लिए किसी नौकरी का इंतजाम किया जाए, जिसे वह कर सकने में सक्षम हो।
वहीं युवती ने कहा है कि वह इतनी विवश है कि इस मामले में सीधा सुप्रीम कोर्ट से ही गुहार कर रही है, क्योंकि वह सरकार से इस बारे में बात नहीं सकती।
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने युवती की याचिका पर केंद्र सरकार, ओडिशा सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है और चार हफ्तों में जवाब मांगा है।
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