गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की लगातार घट रही संख्या, लेकिन क्या ये एक सोची समझी रणनीति?

गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या लगातार घट रही है. लेकिन क्या घटती संख्या भी किसानों की एक सोची समझी रणनीति है. गाजीपुर बार्डर पर चल रहे आंदोलन की तस्वीर मंगलवार की है.

गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की लगातार घट रही संख्या, लेकिन क्या ये एक सोची समझी रणनीति?

नई दिल्ली:

गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या लगातार घट रही है. लेकिन क्या घटती संख्या भी किसानों की एक सोची समझी रणनीति है. गाजीपुर बार्डर पर चल रहे आंदोलन की तस्वीर मंगलवार की है. बढ़ती गर्मी से निपटने के लिए बड़े जनरेटर अब किसान लगा रहे हैं और आंदोलन कर रहे किसानों को गर्मी से बचाने के लिए 120 फीट लंबा पक्का टेंट भी लगाया जा रही है. लेकिन किसानों की घट रहा तादात भी एक किसान नेताओं की एक रणनीति का हिस्सा हैं.

गाजीपुर बार्डर किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता जगतार बाजवा ने कहा, ''किसानों की संख्या घट नहीं रही है बल्कि एक स्ट्रैटेजी के तहत हम किसानों को भेज रहे हैं आलू की फसल तैयार है. अब हम खेत खलिहान तक लेकर जाएंगे. इसकी वजह से हम भेज भी रहे हैं.''

गाजीपुर बार्डर पर किसान अपने तंबू उखाड़ रहे हैं, लेकिन किसान नेताओं का तर्क है कि ये कभी भी बुलावे पर आ सकते हैं.  बदलती रणनीति एक हिस्सा ये भी है कि अब किसानों की संख्या सोशल मीडिया पर बढ़ाई जाएगी. बुधवार से एक काउंटर खोल कर किसानों को ट्विटर और फेसबुक पर अकाउंट भी खोला जाएगा और ट्रेनिंग भी दी जाएगी. ताकि किसान आंदोलन के खिलाफ प्रोपोगंडा करने वालों को सोशल मीडिया पर जवाब दिया जा सके.

जगतार बाजवा ने कहा, ''हम देख रहे हैं कि कुछ मीडिया और सोशल मीडिया पर किसानों के बारे में झूठी खबरें दी जा रही है. हम लोग किसानों के ट्विटर और फेसबुक के अकाउंट खोलेंगे.''

लंबे खिच रहे आंदोलन में खासतौर पर युवाओं के अंदर निराशा न आने पाए इसके चलते किसान नेता खुद ही कुछ दिन के लिए युवाओं को अपने गांव लौटने को बोल रहे हैं ताकि आंदोलन को अनुशासित रखा जा सके.

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किसान आंदोलन किसानों को गर्मी से बचाने के लिए पक्के टेंट से लेकर पंखे, कूलर और जनरेटर तक के इंतजाम हो रहे हैं लेकिन किसान नेताओं का तर्क है कि गर्म दिमाग युवा किसान आंदोलन का अनुशासन न तोड़ने पाए, इसके लिए भी इनको खेतों और घरों में कुछ दिन के लिए लौटने को बोला जा रहा है.