टिक टॉक ऐप का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. एक याचिका में मदुरै हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है और कहा है कि इस मामले को देखेंगे और लिस्ट के मुताबिक ही सुनवाई होगी. आपको बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह वीडियो ऐप टिक टॉक की डाउनलोडिंग पर बैन लगाए. साथ ही कोर्ट ने मीडिया को निर्देश दिया है कि टिक टॉक पर बने वीडियो का प्रसारण न करें. गांवों और छोटे शहरों में फेमस टिक टॉक के जरिए 15 सेकेंड्स तक के वीडियो बना कर शेयर किए जा सकते हैं. लोग इस प्लेटफॉर्म पर डांसिंग, सिंगिंग, फनी और हर तरह के वीडियो बनाते हैं.
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हाईकोर्ट का कहना है कि टिक टॉक के माध्यम से अश्लील सामग्री परोसी जा रही है जो बच्चों के लिए हानिकारक है. कोर्ट का यह आदेश तमिलनाडु के सूचना और प्रसारण मंत्री एम मणिकंदन के बयान के दो महीने बाद आया है, मणिकंदन ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार टिक टॉक ऐप को बैन करवाने के लिए केंद्र सरकार से बात करेगी. मंत्री ने कहा था कि ऐप से बच्चे गुमराह हो रहे हैं. इस ऐप को बैन करने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस किरूबाकरण और जस्टिस एस एस सुंदर की बेंच ने यह आदेश जारी किया है. याचिका में कहा गया था कि इस ऐप के जरिए भारतीय संस्कृति को नुकसान हो रहा है. आदेश में कहा गया है कि याचिका में कुछ हानिकारक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया था. टिक टॉक चाइनीज ऐप है. इंडिया में इसके 104 मिलियन (10.4 करोड़) यूजर्स हैं. यह ऐप इंडोनेशिया और बांग्लादेश में पहले से ही बैन है.
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