बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) और जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बीच हुई एक बैठक के बाद राज्य में राजद और मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के फिर साथ आने की अटकलें तेज हो गई हैं. मांझी फिलहाल राज्य में सत्तारूढ़ NDA का हिस्सा हैं. पश्चिम बंगाल में मुकुल रॉय के बीजेपी से वापस तृणमूल कांग्रेस में लौटने की खबर अभी ठंडी भी नहीं पड़ी कि वैसे ही बिहार में महागठबंधन के एक नेता के घर वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं. राजधानी पटना से करीब 250 किलोमीटर दूर बांका के एक मदरसे में हुए धमाके को लेकर NDA के ही प्रमुख घटक बीजेपी से मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का कुछ विवाद हो गया.
कुछ बीजेपी नेताओं द्वारा यह कहने पर कि एसी जगहों से राष्ट्र विरोधी गतिविधियां होती हैं, मांझी ने कहा, 'राजनीति लाभ के लिए किसी एक समुदाय को निशाना बनाया जाना उचित नहीं है.'
गरीब दलित जब आगे बढ़े तो नक्सली,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) June 10, 2021
गरीब मुसलमान जब मदरसे में पढ़े तो आतंकी,
भाई साहब ऐसी मानसिकता से बाहर निकलिए,यह राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए ठीक नहीं।#हम बाँका बम विस्फोट की घटना की उच्चस्तरीय जाँच की माँग करतें हैं।
उसके बाद तेज प्रताप यादव का यह कदम जिसने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख के घर वापसी की अटकलों की आग में घी का काम किया. पटना में तेज प्रताप का आवास जीतन राम मांझी के आवास से कुछ कदमों की दूरी पर ही है और उन्होंने शुक्रवार को उनसे मुलाकात की.
बाद में तेज प्रताप यादव ने कहा कि उन्होंने मांझी से कहा है कि वह जब चाहें महागठबंधन में लौट सकते हैं जिसे उन्होंने पिछले वर्ष अगस्त में छोड़ दिया था. महागठबंधन से मांझी के चले जाने को दो महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में NDA को हराने की विपक्ष की कवायद को कमजोर करने के तौर पर देखा गया था.
बीजेपी सांसद सुशील मोदी एक बयान में मांझी की पार्टी के NDA से किसी तरह का टकराव होने से इनकार किया. उन्होंने बिहार NDA में सभी से कहा है कि एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी बंद करें. उन्होंने ट्वीट किया, ''पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एनडीए के वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए किसी जनप्रतिनिधि की उनसे शिष्टाचार भेंट का राजनीतिक मायने निकालने की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए. जीतन राम मांझी किसी एक जाति के नहीं, बल्कि बिहार में दलितों के बड़े सर्वमान्य नेता हैं. उन्होंने राजद का कुशासन भी देखा है. उनसे किसी को जबरदस्ती मिलवा देने से कई फर्क नहीं पड़ता. एनडीए अटूट है और इसकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी. किसी को मुगालते में नहीं रहना चाहिए.''
बांका की घटना का जिक्र करते हुए, सुशील मोदी ने एनडीए नेताओं से संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक बयान देने के बजाय अपने आंतरिक मंचों पर बोलने के लिए कहा. मोदी ने कहा, "एनडीए एक लोकतांत्रिक गठबंधन है, इसलिए सभी घटक दलों की लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग राय हो सकती है."
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं