सांकेतिक तस्वीर
मुंबई:
एटीएम कार्डों का डाटा चोरी का जो आंकड़ा अभी बताया जा रहा है वो सिर्फ आधा है. साइबर सिक्योरिटी से जुड़े सूत्रों की मानें तो देशभर में सिर्फ 32 लाख नहीं, बल्कि 65 लाख डेबिट कार्डों का डाटा चोरी होने की आशंका है.
अब बैंकों ने अपने ग्राहकों से पिन बदलवाने या फिर मौजूदा कार्ड ब्लॉक कर नया कार्ड देने की कवायद तो शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक किसी भी बैंक ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं करवाई है और न ही सरकार को इस बारे में कोई सूचना ही दी है. नतीजा महाराष्ट्र पुलिस की साइबर सिक्योरिटी ने खुद बैंकों को खत लिखा है. साइबर सिक्योरिटी के मुखिया इंस्पेक्टर जनरल बृजेश सिंह ने बताया कि मीडिया में आ रही ख़बरों के आधार पर हमने बैंकों को खत लिखकर डाटा लिंक की पूरी जानकारी मांगी है.
ऐसा नहीं है कि डेबिट कार्ड डेटा पहली बार चोरी हुए हैं, लेकिन इतने संगठित तरीके से और इतने बड़े पैमाने पर पहली बार हुआ है. तक़रीबन 19 बैंकों के डेबिट कार्ड डाटा चोरी हुए हैं. फिर चाहे वो वीसा हो, मास्टर और रुपे.
नेशनल बैंक एसबीआई के एमडी रजनीश कुमार के मुताबिक डिजिटल दुनिया में इस तरह की चुनौतियां आती रहती हैं. ये सभी जानते हैं. बांग्लादेश में भी ऐसा हो चुका है.
इस बीच नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया सहित बैंकों ने भी डाटा चोरी से बचने के लिए एहतिहातन कदम उठाने का दावा किया है, तो कार्ड होल्डरों को भी सावधनी बरतने की टिप दी जा रही है कि अपने डेबिट कार्ड का पिन समय-समय पर बदलते रहें.
- जिस एटीएम सेंटर में जा रहे हैं उसे अच्छे से जांच लेना जरूरी है.
- कोशिश करें कि जहां गॉर्ड हो, सीसीटीवी लगे हों उसी एटीएम सेंटर से पैसे निकालें.
- कार्ड रीडर की जगह को हिलाकर देखें कहीं स्किमर तो नहीं लगा है.
- पिन भरते समय दूसरे हाथ से ढंक लें.
- अपने कार्ड पर पीछे की तरफ छपे CVV नबंर को मार्कर से ढंके.
- कभी भी कार्ड अपने से दूर न रखें.
- खासकर रेस्टोरेंट में वेटर के हाथ में देते समय उस पर नजर रखें.
हालांकि ये अभी साफ नहीं है कि सिर्फ डेबिट कार्ड के डाटा चोरी हुए हैं या उसके पिन भी. पहली नजर में शक चीन के हैकरों पर है, लेकिन शक के दायरे में एटीएम नेटवर्क स्विच प्रोवाइडर वेंडर भी हैं. लेकिन बिना एफआईआर के जांच को अंजाम देना मुश्किल होगा.
अब बैंकों ने अपने ग्राहकों से पिन बदलवाने या फिर मौजूदा कार्ड ब्लॉक कर नया कार्ड देने की कवायद तो शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक किसी भी बैंक ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं करवाई है और न ही सरकार को इस बारे में कोई सूचना ही दी है. नतीजा महाराष्ट्र पुलिस की साइबर सिक्योरिटी ने खुद बैंकों को खत लिखा है. साइबर सिक्योरिटी के मुखिया इंस्पेक्टर जनरल बृजेश सिंह ने बताया कि मीडिया में आ रही ख़बरों के आधार पर हमने बैंकों को खत लिखकर डाटा लिंक की पूरी जानकारी मांगी है.
ऐसा नहीं है कि डेबिट कार्ड डेटा पहली बार चोरी हुए हैं, लेकिन इतने संगठित तरीके से और इतने बड़े पैमाने पर पहली बार हुआ है. तक़रीबन 19 बैंकों के डेबिट कार्ड डाटा चोरी हुए हैं. फिर चाहे वो वीसा हो, मास्टर और रुपे.
नेशनल बैंक एसबीआई के एमडी रजनीश कुमार के मुताबिक डिजिटल दुनिया में इस तरह की चुनौतियां आती रहती हैं. ये सभी जानते हैं. बांग्लादेश में भी ऐसा हो चुका है.
इस बीच नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया सहित बैंकों ने भी डाटा चोरी से बचने के लिए एहतिहातन कदम उठाने का दावा किया है, तो कार्ड होल्डरों को भी सावधनी बरतने की टिप दी जा रही है कि अपने डेबिट कार्ड का पिन समय-समय पर बदलते रहें.
- जिस एटीएम सेंटर में जा रहे हैं उसे अच्छे से जांच लेना जरूरी है.
- कोशिश करें कि जहां गॉर्ड हो, सीसीटीवी लगे हों उसी एटीएम सेंटर से पैसे निकालें.
- कार्ड रीडर की जगह को हिलाकर देखें कहीं स्किमर तो नहीं लगा है.
- पिन भरते समय दूसरे हाथ से ढंक लें.
- अपने कार्ड पर पीछे की तरफ छपे CVV नबंर को मार्कर से ढंके.
- कभी भी कार्ड अपने से दूर न रखें.
- खासकर रेस्टोरेंट में वेटर के हाथ में देते समय उस पर नजर रखें.
हालांकि ये अभी साफ नहीं है कि सिर्फ डेबिट कार्ड के डाटा चोरी हुए हैं या उसके पिन भी. पहली नजर में शक चीन के हैकरों पर है, लेकिन शक के दायरे में एटीएम नेटवर्क स्विच प्रोवाइडर वेंडर भी हैं. लेकिन बिना एफआईआर के जांच को अंजाम देना मुश्किल होगा.
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